1. बड़ी शान से चला चंद्रयान-दो दक्षिण ध्रुव। 2. चला भूमि से चंद्रयान-दो चाँद से मिलने को। 3. दक्षिणी ध्रुव करेगा चमत्कार चंद्रयान-दो। 4. पहियेदार ‘रोवर’ चाँद पर करेगा खोज। 5. वैज्ञानिकों ने फहराया तिरंगा अन्तरिक्ष में । 6. चाँद सितारे करें… Continue reading चंद्रयान-दो (हाइकु)
Category: poems
मेरी कविताएँ
सुषमा जी को श्रद्धांजलि (हाइकु)
1. ओज आवाज बुलंद थे हौसले सुषमा जी के। 2. मंगल दिन मृदुभाषी प्रवक्ता मौन हो गई। 3. प्रखर बुद्धि थी वाकपटुता वो नेता सुषमा। 4. सुषमा जी थी शब्दों की जादूगर श्रेष्ट थी वक्ता। 5. चारों दिशाएं दे रहे श्रद्धांजलि सुषमा जी को ।… Continue reading सुषमा जी को श्रद्धांजलि (हाइकु)
चंद्रयान-दो
तीन सखा मिल बने चंद्रयान-दो चले धरा से अंतरिक्ष में, अटल प्रतिज्ञा के साथ दक्षिणी ध्रुव पर, मामा से मिलने। यह खबर सुन खुश होके, मामा लगा इतराने दोनों मिल करेंगे चमत्कार अब भू को समृद्ध बनाएंगे।
घूंघरू (कविता)
मैं घूंघरू हूँ ! अजीब है जिंदगी मेरी, कभी पैरों की शोभा बढ़ाती हूँ मैं । जिस पग में बांधी जाती हूँ नाम वही पा जाती हूँ, मैं घूंघरू हूँ ! अजीब है जिंदगी मेरी। मैं कभी मंदिरों में बजती हूँ, कभी महफिल में बजाई जाती हूँ। कभी तोड़ी जाती हूँ। कभी टूट के बिखर… Continue reading घूंघरू (कविता)
हम हंसना भूल गए (कविता)
अपने आप में इतना उलझ गए हैं, कि हम हंसना भूल गए हैं। दूसरों को सुखी देखकर, अपने सुख को भूल गए हैं। इसलिए हम हंसना भूल गए हैं। दूसरे की बुराई देखने में, अपनी बुराई भूल गए हैं । इसलिए हम हँसना भूल गए हैं । मोबाईल में समय गवांकर, अपनों से दूर हो… Continue reading हम हंसना भूल गए (कविता)
हमारी ‘हिन्दी’ (कविता)
सरस भाषा हिन्दी है, सरल भाषा हिन्दी है सरस, सरल और रुचिर भाषा हिन्दी है। मृदुल भाषा हिन्दी है, मधुर भाषा हिन्दी है मृदुल, मधुर और कोमल भाषा हिन्दी है। कर्म भाषा हिन्दी है, धर्म भाषा हिन्दी है कर्म, धर्म और काव्य भाषा हिन्दी है। संस्कार भाषा हिन्दी है, संस्कृति भाषा हिन्दी है संस्कार, संस्कृति… Continue reading हमारी ‘हिन्दी’ (कविता)
हाइकु (1 से 100)
1. हे! माँ शारदे काव्य कला के ज्ञान का विवेक दे। 2. हे! वागेश्वरी भर शब्दों में शक्ति लेखनी पर। 3. हे! वीणा पाणी सितार में झंकार सुरीली लय। 4. हंसवाहिनी सुर में यति गति झंकार भर। 5. हे! स्वर दात्री तानसेन वैजू को लौटा दे धरा। 6. वर्तमान के मकड़जाल में उलझे हम। 7. … Continue reading हाइकु (1 से 100)
अटल (कविता)
यम को देख भू लोक में माँ धरती घबड़ाई! स्वर्ग लोक को छोड़ तुम, आज यहाँ क्यों आए।
वर्दी (कविता)
वर्दी के है अनेक प्रकार, वर्दी की है अपनी शान। अनेक रंगों की है ये वर्दी । जो पहने उसकी बढ़ती मान। कुछ वर्दी पहन इतराते हैं कुछ वर्दी पहन लोगों को डराते हैं। कुछ लोग वर्दी की रखते लाज, कुछ लोग वर्दी की लाज गंवाते हैं। कुछ लोग वर्दी को इजज्त दिलवाते हैं… Continue reading वर्दी (कविता)
चिरैया (कविता)
दिल में अरमां आँखों में सपने, बिटिया रानी कुछ सोच रही थी। मैं पूछी, क्या सोच रही हो? फिर वो मुझसे लिपट कर बोली, माँ! क्या मैं उड़ सकती हूँ? चिड़िया जैसी? माँ बोली, हाँ क्यों नहीं? बिटिया रानी कुछ सोच कर बोली, कैसे माँ? माँ बोली! तुम अपने सपनों से प्यार करो। सपनों को… Continue reading चिरैया (कविता)