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दलित साहित्य : ‘मुर्दहिया’-तुलसीराम (आत्मकथा) एक समीक्षा
‘दलित’ वर्ग के लिए भारतीय समाज में अनेक शब्दों का प्रयोग किया जाता रहा है। जैसे- शूद्र, अछूत, बहिष्कृत, अंत्यज, पददलित, दास, दस्यु, अस्पृश्य, हरिजन आदि। दलित शब्द का शब्दिक अर्थ है- मसला हुआ, रौंदा या कुचला हुआ, नष्ट किया हुआ, दरिद्र और पीड़ित, दलित वर्ग का व्यक्ति। ‘संक्षिप्त हिंदी सागर’ में रामचंद्र वर्मा…
हिंदी गद्य के उद्भव और विकास
हिंदी साहित्य का आधुनिक काल भारत के इतिहास के बदलते हुए स्वरूप से प्रभावित था। स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रीयता की भावना का प्रभाव साहित्य पर भी पड़ा। भारत में औद्योगीकरण का प्रारंभ होने लगा था। आवागमन के साधनों का विकास हुआ। अंग्रेज़ी और पाश्चात्य शिक्षा का प्रभाव बढ़ा और जीवन में बदलाव आने लगा। भावना…
सगुण भक्ति की विशेषताएँ तथा सूरदास और तुलसीदास के भक्ति साहित्य
ईश्वर की ‘सगुण’ और ‘साकार’ रूप में विश्वास करने वाले भक्त कवियों को ‘सगुण’ भक्ति का नाम दिया गया है। वैष्णव भक्ति के उद्भव के साथ ही सगुण भक्तिधारा विकसित हो गई थी। भक्ति प्राचीनकालीन भारतीय वैदिक भक्ति का हि विकसित रूप है। ‘सगुण’ का अर्थ होता है परमसत्ता के सभी गुणों से संपन्न। अवतार…
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Hindi Grammar
उपसर्ग और प्रत्यय (Prefix and Suffix)
उपसर्ग (Prefix) उप+सर्ग दो शब्दों के मेल से बना है। ‘उप’ का अर्थ होता है समीप, निकट या पास तथा ‘सर्ग’ का अर्थ होता है, बनाना या सृष्टि करना। उपसर्ग उस अव्यय या शब्दांश को कहते हैं, जो किसी शब्द के आरम्भ में जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन कर विशेषता ला देता है। जैसे- ‘भाव’…
कारक (Case)
कारक (case) के प्रकार और विभक्ति चिन्ह कारक की परिभाषा- संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य के अन्य शब्दों के साथ उसके संबंध का बोध होता है, उसे कारक कहते हैं। हिन्दी में आठ (8) कारक हैं- कर्ता, कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, सम्बन्ध, अधिकरण और सम्बोधन कारक के विभक्ति चिन्ह कारक के विभक्ति…
विराम चिन्ह (Punctuation Mark)
विराम (Punctuation Mark) – विराम का अर्थ होता है- रुकना या ठहरना। भिन्न-भिन्न भावों और विचारों को स्पष्ट करने के लिए जिन चिन्हों का प्रयोग वाक्य के बीच में या अंत में किया जाता है, उसे विराम चिन्ह कहते हैं। परिभाषा- जब हम अपने भावों को भाषा के द्वारा व्यक्त करते हैं, तब एक भाव…
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Poems
फिर लौटूंगी (कविता)
सतरंगी रंगों की निशां देकर चली गई होली। अपनी निशान छोड़कर चली गई होली। दो दिन की खुशियाँ देकर चली गई होली। अगले वर्ष फिर आउंगी कह गई होली। ‘कोरोना’ से बचकर रहना फिर खेलने आऊँगी होली।
कैसे कहूँ? (कविता)
हँसकर आँसू छुपा लेती हूँ मुस्कुराकर दर्द सह लेती हूँ रात गम में गुजार लेती हूँ दिल को कैसे समझाऊं? सुनते तो सब हैं मुझे अपनी बात को कैसे बताऊँ? कोशिश तो की थी सुनाने की लेकिन किसी को कैसे सुनाऊं?
हाथ की लकीरें (कविता)
माथे की लकीरों को देखते ही, उसने कहा! ओह! तुम्हारे तो भाग्य ही नही है कैसे रहोगी? कैसे जियोगी? खैर! दुखी होकर भी हमेशा, तुम मुस्कुराती रहोगी उसे क्या पता, मैं क्या हूँ? मैं भी मानव हूँ माथे के लकीरों को, आत्मशक्ति से बदल सकती हूँ मैं, मैं जानती थी, अपने आपको मन में दर्द…
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Stories
‘पल्लू’ की गरिमा (लघु कथा)
‘पर्दा’ अरबी भाषा से आया हुआ शब्द है। जिसका अर्थ होता है, ‘ढकना’। ‘बुर्का’ भी एक तरह से घूँघट ही है, जिसे मुस्लिम समुदाय की महिलाएँ और लडकियाँ पुरुषों के गलत निगाह से बचने के लिए पहनती हैं। भारत में घूँघट प्रथा भी इस्लामों की देन है। इस्लामी आक्रमणकारियों और लुच्चे-लफंगों से अपनी बचाव के…
दिलचस्प कहानी (लघु कथा)
सन् 1994 की बात है, उस समय हमारे देश के राष्ट्रपति श्री शंकर दयाल शर्मा जी थे। अधिकारिक यात्रा पर वे मस्कट गए थे। उस समय एयर इण्डिया में तीन दुर्लभ बातें हुई थी। पहली बात यह हुई कि ओमान के राजा ‘कबूस बिन सईद अल सईद’ किसी भी देश के गणमान्य व्यक्ति को हवाई…
अच्छे कर्मो का फल (लघु कथा)
कहा गया है कि माता-पिता के कर्मो का फल बच्चे को मिलता है। यह कहानी ब्रिटेन के स्कॉटलैंड में रहनेवाले फ्लेमिंग नामक एक गरीब किसान की है। फ्लेमिंग एक दिन अपने खेत में काम कर रहे थे। अचानक उसी समय उन्हें किसी के चीखने की आवाज सुनाई पड़ी। वे काम छोड़कर उस आवाज की ओर…
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