परछाईं (कविता)

जबसे हमने होश सम्भाला, तब से मैं उसे देख रही हूँ कभी देखकर दुखी हो जाती, कभी देख खुश हो जाती हूँ पता नही वो कौन है? जो साथ-साथ रहती है मेरे कभी तो उससे डर जाती हूँ, कभी सोंच में पड़ जाती हूँ हिम्मत करके पूछ ही बैठी, बताओं कौन हो तुम ? क्या… Continue reading परछाईं (कविता)

पुलवामा के शहीद

14 फरवरी का दिन देश में एक कलंक के रूप में याद किया जायेगा। 1947 में देश के बटवारे के बाद कबाईलियो ने कश्मीर को कुचलने के लिए कश्मीर पर हमला कर दिया था। चारों तरफ से मुसीबत से घीरे कश्मीर के महाराज हरि सिंह ने भारत सरकार से आत्म रक्षा की गुहार लगाई और… Continue reading पुलवामा के शहीद

‘हाइकु’ कविता

‘हाइकु’ मूल रूप से जापानी कविता की एक विधा है। इसका प्रचलन 16वीं शताब्दी में प्रारम्भ हो गया था। हाइकु का जन्म जापानी संस्कृति की परम्परा और जापानी लोगों के सौंदर्य चेतना में हुआ था। हाइकु में अनेक विचार धाराएँ मिलती है जैसे- बौद्ध-धर्म, चीनी दर्शन और प्राच्य-संस्कृति आदि। यह भी कहा जा सकता है कि हाइकु में इन सभी विचार धाराओं की झाँकी मिल जाती है या हाइकु इन सबका दर्पण है।

बचपन के दिन (कविता)

मनुष्य के जीवन का सबसे सुनहरा, खुबसूरत और चिंता मुक्त पल बचपन है। जिसे फिर से जीने का मन करता है लेकिन बिता हुआ समय कभी भी वापस नहीं आता है। सिर्फ वो यादें ही रहती है, जिसे फिर से एक बार जीने का मन करता है।

मिथ्या सत्य (कविता)

सत्य और मिथ्या दो है भाई, दोनों में थी हुई लड़ाई । साथ कभी ना रह सकते, क्योंकि दोनों की सोच अलग थी। कभी एक आगे बढ़ जाता, और दूसरा रह जाता पीछे। ऐसा लगता है कि, मिथ्या का ही है जमाना।

ठूँठ (कविता)

हरी भरी वसुंधरा पर, था खड़ा, एक ठूँठ वृक्ष कभी वो खुद को निहारता, कभी दिशाओं को देखता पुष्पहीन, पत्रहीन, असहाय सा था खड़ा ना वसेरा चिडियों का, ना लोगों के लिए ठिकाना जब थी मैं हरी भरी और खुशहाल पक्षियों के कलरव से गूंजती थी डाल-डाल पथिकों का होता था बैठक यहाँ लेकिन चुप… Continue reading ठूँठ (कविता)

हत्यारिन राजनीति (कविता)

हे! मानव तुमने ये क्या कर दिया? मैं क्या थी और तुमने मुझे क्या बना दिया? खुद को संवारने के लिए मुझे दाग-दाग कर दिया। मैं तो रानी थी राजाओं के नीतियों की तुमने मुझे हत्यारिन बना दिया। मुझे तो मेरे पूर्वजों ने इजज्त और सम्मान दिया लेकिन तुमने मुझे कलंकित कर दिया। थी मैं… Continue reading हत्यारिन राजनीति (कविता)