बेरोजगार हैं युवा, किंतु निःशब्द नहीं
प्रशिक्षित है किंतु बोलते नहीं।
किसे कहे अपनी पीड़ा, यह प्रशिक्षित वर्ग
उसकी आवाज कोई सुनता नहीं।
बीमार नहीं ये, आरक्षण के मारे हैं
स्वार्थ का सितम, ढाया है सरकार ने
तीस प्रतिशत वाले, हो गए अब आगे
नब्बे प्रतिशत वाले, हो गए अब पीछे।
चंद वोटों के लिए गुनाह किया सरकार ने
उनके गुनाहों का दर्द सह रहे हैं युवावर्ग।
अन्य दुःख – दर्दों का दवा था मुमकिन
किंतु आरक्षण के बीमारी की नहीं है कोई दवा
ऐ भारत की सरकार ! तेरे इस रोग की सजा
कब तक भुगतेगी यह युवा पीढ़ी ।
मिटा अब इस आरक्षण के रोग को
दे उनको नया जीवन, जो जिस लायक हो।
तेरी गुनाहों की सजा, भुगत रहा है युवावर्ग।।