अदृश्य ‘करोना’ ने मानव को
उसका दृश्य दिखा दिया।
चौपाया को राहों पर और
मानव को, घर पर बैठा दिया।
जो करते थे मतलब से बातें
अब, बिना मतलब के बातें करते हैं।
जो नहीं डरते थे शेर-चीता से
उसे अदृश्य ‘कोरोना’ ने डरा दिया।
मेरी रचनाएँ
अदृश्य ‘करोना’ ने मानव को
उसका दृश्य दिखा दिया।
चौपाया को राहों पर और
मानव को, घर पर बैठा दिया।
जो करते थे मतलब से बातें
अब, बिना मतलब के बातें करते हैं।
जो नहीं डरते थे शेर-चीता से
उसे अदृश्य ‘कोरोना’ ने डरा दिया।