दर्दों का कारवां, साथ चलता ही रहा,
आँखें नम हुई, दिल थम सा गया।
अब इतना भी, दर्द न दे ऐ जिंदगी!
कि हिसाब भी, इसका कर न सकूँ।
कुछ देकर दर्द, इतराते हैं,
कुछ लेकर दर्द, हिम्मत बढ़ाते हैं।
बस आदत अपनी कुछ ऐसी है,
जो दर्द में भी दर्द सहती है।
अब हिम्मत नहीं है, मुझमे ऐ जिंदगी,
कि कर सकूँ दर्द से दर्द का हिसाब।
सुंदर प्रस्तुति
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Namaskar sir
बहुत-बहुत धन्यवाद आपकी प्रतिक्रिया के लिए।
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बहुत बढ़िया 💐🙏
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नमस्कार सर
आपकी प्रतिक्रिया के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
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