‘हाइकु’ कविता

‘हाइकु’

हाइकु क्या है  
कोई बताओ मुझे
तो मैं समझूं ।

एक बार ऋषि वाल्मीकि पक्षियों के कलरव निहार रहे थे। क्रौंच पक्षियों की अठखेलियां, उनका कूजन और कलरव देखते-देखते वे उनकी क्रीड़ाओं में इतने खो गए कि उन्हें समय का भान ही नहीं रहा कि तभी एक ब्याध ने रति क्रिया में निमग्न क्रौंच के जोड़े में से एक नर पक्षी का तीर से बध कर दिया। क्रोंच पीड़ा से छटपटाने लगा और उसकी मादा चीत्कार करने लगी। ऋषि की तन्द्रा भंग हो गई। इस मार्मिक दृष्य को देखकर ऋषि के कण्ठ से अकस्मात् ही कविता फूट पड़ी…

मानिषाद्   त्वमगम:    शाश्वतीसमा:
यत्क्रौंचमिथुनादेकमवधी काममोहितम्।।

उसी समय श्री ब्रह्माजी वहां प्रस्तुत हुए और ऋषि श्रेष्ठ को यह आशिर्वाद दिया कि आज से यह कविता, पहली कविता होगी और आप पहले कवि कहे जाएंगे।

अत्यंत सुकोमल भावनाओं के संवेदनशील कवि श्री सुमित्रानंदन पंत जी ने भी कहा है

वियोगी  होगा  पहला  कवि  आह से उपजा होगा गान ।
निकलकर आँखों से चुपचाप बही होगी कविता अनजान ।।

मैं समझती हूँ कि भावनाएं जब उमड़ती है तो शब्दों की सीमा तोड़ कर कविता बनकर वाणी से निकल जाती है। सतरह अक्षरों कि ये कविता किसी ऐसी ही परिस्थितियों में प्रस्फुटित भावनाओं का निचोड़ है। विश्व स्तर पर मेरी ज्ञान के अनुसार सर्व मान्य कविताओं का सर्वोत्तम लघु रूप है ‘हाइकु’।

‘हाइकु’ मूल रूप से जापानी कविता की एक विधा है। इसका प्रचलन 16वीं शताब्दी में प्रारम्भ हो गया था। हाइकु का जन्म जापानी संस्कृति की परम्परा और जापानी लोगों के सौंदर्य चेतना में हुआ था। हाइकु में अनेक विचार धाराएँ मिलती है जैसे- बौद्ध-धर्म, चीनी दर्शन और प्राच्य-संस्कृति आदि। यह भी कहा जा सकता है कि हाइकु में इन सभी विचार धाराओं की झाँकी मिल जाती है या हाइकु इन सबका दर्पण है।

मात्सुओ ‘बाशो’ एक महान जापानी कवि थे। इनका जन्म एक समुराय घराने में हुआ था। जिन्हें ‘हाइकु विधा’ का जनक माना जाता है। हाइकु को लोकप्रिय और समृद्ध बनाने में मात्सुओ बाशो का विशेष योगदान था। बाशो जैन संत थे। इनका  बचपन का नाम ‘जिनशियरो’ था । इनके एक शिष्य ने उनके लिए एक झोंपड़ी बना दिया और उसके सामने एक केले का पेड़ लगा दिया। केले को जापानी में ‘बाशो’ कहते हैं। इनके झोंपड़ी को ‘बाशो-एन’ कहा जाता था। इसके पश्चात् लोग उन्हें ‘मात्सुओ बाशो’ कहने लगे।

बाशो घुमक्कड़ और प्रकृति प्रेमी संत थे। इन्हें  प्रकृति और मानव की एकरूपता पर भरोसा था। वे कम शब्दों में बड़ी बात कह देते थे। इनका मानना था कि पांच सार्थक हाइकु लिखने वाला सच्चा कवि और दस हाइकु लिखने वाला महाकवि कहलाने का हक़दार है। बाशो का मानना था की संसार के प्रत्येक विषय हाइकु के योग्य हैं अथार्त सभी विषयों पर हाइकु कविता लिखा जा सकता है।

हाइकु कविता तीन पंक्तियों में लिखी जाती है। पहली पंक्ति ‘पाँच’ अक्षर, दूसरी पंक्ति ‘सात’ अक्षर और तीसरी पंक्ति ‘पाँच’ अक्षर इस प्रकार सब मिलाकर हाइकु में ‘सतरह’ अक्षर होनी चाहिए। इसमें संयुक्त अक्षर को एक अक्षर गिना जाता है। उदहारण के लिए- ‘सुन्दर’ इसमें चार अक्षर हैं लेकिन हाइकु में इसे तीन ही अक्षर गिना जायेगा – ‘सु,न्द,र’। एक ही वाक्य को 5,7,5 के क्रम में तोड़कर नहीं लिखना है, बल्कि पूर्ण तीन पंक्तियाँ होनी चाहिए। हाइकु अलंकार विहिन और सहज अभिव्यक्ति वाली कविता है। हाइकु में तुक का महत्व नहीं होता है लेकिन स्वरानुरुपता, अनुप्रास, लय और यति पर विशेष बल दिया जाता है। भारत में ‘हाइकु’ लाने का श्रेय कविवर ‘रविंद्रनाथ ठाकुर’ को जाता है। जिन्होंने अपनी जापान यात्रा से लौटने के बाद   सन् 1919 ई० में ‘जापानी यात्री’ पुस्तक में हाइकु कविता की चर्चा किया था। उन्होंने दो हाइकु का बंगला में अनुवाद भी किया था।

  1. पुरोनो पुकुर
    ब्यांगेर लाफ
    जलेर शब्द ।  (पुरानी तालाब में मेढ़क के कूदने से पानी में आवाज)
  2. पचा डाल
    एकटा को
    शरत्काल। (सुखी डाल पर शरद काल में एक कौआ)

ये दोनों कविताएँ बाशो की प्रसिद्ध कविताओं का बंगाली रूपांतर है। इस प्रकार जापानी हाइकु का बंगला साहित्य की उर्वरा भूमि पर विजारोपण तो हो गया परन्तु इस बीज के अंकुरित होकर विकसित होने के लिए जिस अनुकूल वातावरण की आवश्यकता थी वह ‘अज्ञेय’ के माध्यम से मिला। अज्ञेय जी जापान यात्रा से वापस आते समय हाइकु कविताओं से प्रभावित होकर उनके अनुवाद किए। जिनके माध्यम से प्रभावित होकर भारतीय हिंदी पाठक हाइकु के नाम से परिचित हुए। इसके बाद दिल्ली जवाहरलाल नेहरू विश्वविधालय में जापानी भाषा के पहले प्रोफ़ेसर डा. सत्यभूषण वर्मा ने जापानी हाइकु कविताओं का सीधा हिंदी में अनुवाद कर भारत में प्रचार-प्रसार किया। प्रो. सत्यभूषण के शब्दों में- हाइकु साधना की कविता है। “आकर की लघुता हाइकु का गुण भी है और इसकी सीमा भी”। हाइकु में एक भी शब्द व्यर्थ नहीं होता। हाइकु का प्रत्येक शब्द एक साक्षात अनुभव है। थोड़े शब्दों में बहुत कुछ कह देना आसान नहीं है। हाइकु लिखने के लिए धैर्य की आवश्यकता होना आवश्यक है। हाइकु काव्य का प्रिय विषय प्रकृति को माना गया है। हाइकु प्रकृति को माध्यम बनाकर मनुष्य की भावनाओं को प्रकट करता है। आज भारत में भी हिंदी हाइकु कविता लोकप्रिय होती जा रही है। हाइकु कविताओं के लगभग 300 संकलन प्रकाशित हो चुके है। “हाइकु दर्पण” हाइकु की महत्वपूर्ण पत्रिका है इसका संपादन डा. जगदीश व्योम ने किया है। डा. रामनारायण पटेल राम ने ‘हिंदी हाइकु इतिहास और उपलब्धियाँ’ पुस्तक का संपादन किया है। आज हमारे देश में हाइकु कारों की संख्या बढ रही है। जिन हाइकु कारों की चर्चा हाइकु में होती है वे हैं- डा. सुधा गुप्ता, डा. रमाकांत श्रीवास्तव, डा. जगदीश व्योम,  डा. राजन ‘जयपुरिया’ आदि। अतः हम कह सकते है की हाइकु काव्य की एक अलग विधा है।

हाइकु के मुख्य तीन तत्व है

  1. हाइकु 5-7-5 वर्णों के क्रम में व्यवस्थित तीन पंक्तियों की कविता है।
  2. इसमें भाव, विचार, बिम्ब, दृश्य आदि की तुलनात्मक प्रस्तुति होती है।
  3. इसमें विस्मयकारी बोध अथवा चौंकाने वाला तत्व होते हैं।

हाइकु लिखने के क्रम

  1. भाव या विचारों की सोच व आत्म-मंथन
  2. उचित शब्दों का चुनाव व प्रयोग
  3. शब्दों को 5-7-5 वर्णों के क्रम में हाइकु की तकनीक के अनुसार व्यवस्थित करना है।

आरम्भ की तीन पंक्तियों को देखें यह ‘हाइकु’ कविता का एक उदाहरण है। कम से कम शब्दों के माध्यम से बहुत कुछ कह देने की कला है ‘हाइकु’। यदि भावनाएं सही हो तो कम शब्दों में भी एक विचार सम्प्रेषित कर देने की सबसे सटिक विधा है ‘हाइकु’। अपनी इसी सार्थक सघन और सम्प्रेषण की क्षमता के कारण ‘हाइकु’ विश्व स्तर पर इतना लोकप्रिय होता जा रहा है। यहाँ यह कहना अनुचित नहीं होगा कि ‘हाइकु’ अभी भी अपनी बाल्यावस्था में है अभी तो इस यात्रा में इसकी किशोरावस्था, युवावस्था और इसका प्रौढ़ होना अभी भी बाकी है।

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.