14 फरवरी का दिन देश में एक कलंक के रूप में याद किया जायेगा। 1947 में देश के बटवारे के बाद कबाईलियो ने कश्मीर को कुचलने के लिए कश्मीर पर हमला कर दिया था। चारों तरफ से मुसीबत से घीरे कश्मीर के महाराज हरि सिंह ने भारत सरकार से आत्म रक्षा की गुहार लगाई और भारत की सेना रातों-रात श्रीनगर पहुँच कर कबाईलियो को कुचलकर देश की सीमावर्ती इस भू-भाग कश्मीर का दमनकारी, आक्रमणकारियों से रक्षा किया। कश्मीर भारत संघ में शामिल हो गया था और उसकी रक्षा हमारा नैतिक दायित्व था। तब से लेकर आज तक भारत अपनी इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाता आ रहा है। कुछ राजनीतिक भूल के कारण आज तक इस समस्या का स्थाई हल नहीं निकल पाया और ये समस्या सुरसा के मुँह की तरह बढ़ती गई और समय-समय पर हमारे वीर सपूतों को निगलती रही है। 14 फरवरी के दिन कश्मीर के पुलवामा में जो कुछ भी हुआ, वो कश्मीर के इतिहास का सबसे दर्दनाक घटना थी जिसमें ‘केन्द्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स’ के 44 जवान शहीद हो गये। मानवता के रक्षक भारत माँ के ये वीर सपूत आतंकवादी, आत्मघाती हमले का शिकार हो गये। इस घटना को मनवता पर कलंक के रूप में हमेशा याद किया जायेगा। ये जवान अब लौट के कभी भी वापस नहीं आयेंगे। सबसे अधिक अफ़सोस इस बात की है कि एक-एक जवान जो सौ-सौ पर भारी पड़ते उन्हें मौका ही नहीं मिला और धोखे से मारे गये। इन वीर जवानों को मेरा कोटि-कोटि प्रणाम है और उनकी याद में मैं अपनी कुछ ‘हाइकु’ कविता यहाँ लिख रही हूँ जो पुलवामा के ‘वीर शहीदों’ को मेरी श्रद्धांजलि है
हे भू के लाल
भारत के सपूतों
रहोगे याद।
वीर सपूतों
देश समझता है
ये बलिदान।
चालीस पूतों
ने दिया बलिदान
वीर जवान।
आक्रोशित हो
देश धधक रहा
फिर भी मौन।
मिली भगत
थी देशद्रोहियों की
ली बलिदान।
शत् प्रतिज्ञा
रक्त रंजित लाशें
लेंगे बदला।
कायरता से
जवानों पर हमला
आतंकवादी।
छोड़ेंगे नहीं
देश के दुश्मन तू
हो सावधान।
आतंकवादी
ये कायर हमला
ममता रोये।
खड़ा रहूँगा
सरहद पर मैं
देश खातिर।
देश वाशियों
देश पुकारे अब
एकजुट हो।
नहीं करेंगे
रहम गद्दारों पे
करो प्रहार।
सीमा पार से
भय नहीं है देश
में जयचंद।
देश की मान
है एकता ही शान
ये पहचान।
पुलवामा के
वीर नौजवानों को
दो श्रदांजलि।
‘जय हिन्द’