ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे !!ॐ!!
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माता जी की आरती
आरती जगजननी मैं तेरी गाऊं ।।2।। तुम बिन कौन सुने वरदाती। मैं जाकर किसको विनय सुनाऊं। आरती जगजननी मैं तेरी गाऊं॥आरती॥
प्रेम और भक्ति
भारत में त्याग की परम्परा पुरातन काल से ही चली आ रही है। हमारे देश में अनेक महापुरुष, नारी, विद्वान आदि त्यागी हुए है जो देश और धर्म के लिए बड़े से बड़ा त्याग कर चुके हैं। त्याग करने में वे थोड़ा भी हिचकिचाते नहीं हैं। त्याग की भावना अत्यंत पवित्र है। त्याग करने वाले लोग ही संसार को प्रकाशमान बनाते हैं। गीता में भगवान कहते हैं कि “त्याग से शांति की प्राप्ति होती है और जहाँ त्याग है वही शांति होती है”।