हिंदी वर्णमाला के दो प्रकार हैं- 1. स्वर और 2. व्यंजन
- स्वर की परिभाषा- स्वर वे अक्षर है जिसे बोलने के लिए किसी और ध्वनि की मदद नहीं लेनी पड़ती है। अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ – (11)
अं अः अयोगवाह है – (अं) को अनुस्वार और (अः) विसर्ग कहते हैं। ये (2) हैं।
ह्रस्व स्वर- अ इ उ ऋ (4) हैं।
दीर्घ स्वर- आ ई ऊ ए ऐ ओ औ (7) हैं।स्वर के मुख्य तीन प्रकार के होते है-- ह्रस्व स्वर– अ इ उ ऋ (4) होते है इसमें कम समय लगता है।
- दीर्घ स्वर– आ ई ऊ ए ऐ ओ औ (7) इसमें ह्रस्व से ज्यादा समय लगता है।
- प्लुत स्वर– ओम इसमें ह्रस्व और दीर्घ से तीन गुना ज्यादा समय लगता है।
- व्यंजन की परिभाषा- जिसको स्वरों की सहायता या मदद से ही बोला जाता है, उसे व्यंजन कहते है
क ख ग घ ड० | इसे ‘क वर्ग’ कहते है, इसका उच्चारण ‘कंठ’ किया जाता है। |
च छ ज झ ञ | इसे ‘च वर्ग’ कहते है, इसका उच्चारण ‘तालु’ से किया जाता है। |
ट ठ ड ढ ण | इसे ‘ट वर्ग’ कहते है, इसका उच्चारण ‘मूर्धा’ से किया जाता है। |
त थ द ध न | इसे ‘त वर्ग’ कहते है, इसका उच्चारण ‘दन्त’ से किया जाता है। |
प फ ब भ म | इसे ‘प वर्ग’ कहते है, इसका उच्चारण ‘ओष्ठ’ से किया जाता है। |
य र ल व | (इन चारों को) ‘अन्तस्थ व्यंजन’ कहते हैं। |
श ष स ह | (इन चारों को) ‘उष्ण व्यंजन’ कहते हैं। |
संयुक्त अक्षर- क्ष त्र ज्ञ श्र (4) ये चारों दो व्यंजनों के संयोग से बनता है।
स्मृति ताजा करने के लिए शुक्रिया आपका
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सुप्रभात Pamit ji
धन्यवाद
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बहुत ही अच्छी रचना है, 👍🙂
कोरोना व लॉक-डाउन पर मैंने कुछ लिखने की कोशिश की है,
आशा है आपको पढ़ कर निराशा नहीं होगी।कृपया एक बार अवश्य पढ़ें
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