मैं घूंघरू हूँ ! अजीब है जिंदगी मेरी,
कभी पैरों की शोभा बढ़ाती हूँ मैं ।
जिस पग में बांधी जाती हूँ
नाम वही पा जाती हूँ,
मैं घूंघरू हूँ ! अजीब है जिंदगी मेरी।
मैं कभी मंदिरों में बजती हूँ,
कभी महफिल में बजाई जाती हूँ।
कभी तोड़ी जाती हूँ।
कभी टूट के बिखर जाती हूँ,
मैं घूंघरू हूँ ! अजीब है जिंदगी मेरी।
कभी कोठों पर सजाई जाती हूँ,
कभी किन्नर संग बजाई जाती हूँ।
जहाँ भी चली जाती हूँ,
नाम वही पा जाती हूँ।
मैं घूंघरू हूँ ! अजीब है जिंदगी मेरी।
कहीं नाम मिली,
कहीं बदनाम हुई ।
मीरा के पग में दीवानी कहलाई।
रक्काषा के पग में बदनाम हुई।
मैं घूंघरू हूँ ! अजीब है जिंदगी मेरी।