विराम (Punctuation Mark) – विराम का अर्थ होता है- रुकना या ठहरना। भिन्न-भिन्न भावों और विचारों को स्पष्ट करने के लिए जिन चिन्हों का प्रयोग वाक्य के बीच में या अंत में किया जाता है, उसे विराम चिन्ह कहते हैं।
परिभाषा– जब हम अपने भावों को भाषा के द्वारा व्यक्त करते हैं, तब एक भाव की अभिव्यक्ति के बाद कुछ देर रुकते हैं, यह रुकना ही विराम कहलाता है। विराम चिन्हों के प्रयोग से भावों में स्पष्टता आती है और कथन भावपूर्ण बन जाता है।
सरल शब्दों में- वाक्य को बोलते अथवा लिखते समय कहीं कम, कहीं बहुत कम रुकना पड़ता है। इससे भाषा स्पष्ट, अर्थवान और भावपूर्ण हो जाती है। लिखित भाषा में इस ठहराव को दिखाने के लिए कुछ विशेष प्रकार के चिन्हों का प्रयोग किया जाता है। उन चिन्हों को विराम चिन्ह कहते हैं। लेखन को प्रभावी बनाने के लिए लेखक द्वारा कई प्रकार के विराम चिन्हों का प्रयोग किया जाता है। जिससे लेखन के भावों की अभिव्यक्ति, वाक्य का अर्थ स्पष्ट करने, उतार-चढ़ाव और ठहराव को दर्शाने के लिए आवश्यक होता है। यदि विराम चिन्ह का प्रयोग नहीं किया जाए तो वाक्य अर्थ हीन या अस्पष्ट हो जाएगा। विराम चिन्ह के कुछ उदाहरण:
राम श्याम के घर जा रहा है।
तुम्हारा नाम क्या है?
विराम चिन्ह के प्रकार- इस विराम को प्रकट करने के लिए जिन चिन्हों का प्रयोग किया जाता है, वे विराम चिन्ह कहलाते हैं।
1. पूर्ण विराम (Full-Stop) (।)- जहाँ पर वाक्य पूर्ण या समाप्त हो जाता है, वहाँ पूर्ण विराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। पूर्ण विराम चिन्ह का प्रयोग प्रश्न सूचक और विस्मयादि सूचक वाक्यों को छोड़कर बाकी सभी प्रकार के वाक्यों के अंत में किया जाता है। जैसे-
सोहन ने खाना खा लिया।
हमारे विधालय में शनिवार को भी अवकाश रहता है।
मैं कल घर जाऊँगा। तुम घर चले जाओ।
2. अर्द्ध विराम (Semi Colon) (;)- जहाँ अल्प विराम की अपेक्षा कुछ ज्यादा देर तक रुकना हो वहाँ अर्ध विराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जब किसी वाक्य को पढ़ते या कहते हुए बीच में हल्का सा विराम लेना हो लेकिन वहाँ वाक्य खत्म नहीं हो रहा हो, तब वहाँ पर अर्ध विराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि एक वाक्य के साथ दूसरे वाक्य का संबंध बताना हो तो वहाँ अर्धविराम का प्रयोग होता है। इस प्रकार के वाक्यों में दूसरे से अलग होते हुए भी दोनों में कुछ न कुछ संबंध रहता है। इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार है।जैसे-
राम तो अच्छा बालक है; किन्तु उसकी दोस्ती अच्छों के साथ नहीं है।
विकास को मैंने अपना दोस्त समझा; किन्तु वह आस्तीन का साँप निकला।
दो या दो से अधिक उपाधियों के बीच अर्धविराम का प्रयोग किया जाता है; जैसे-
एम० ए०; बी० एड०; एम० एस० सी०।
3. अल्प विराम (Comma) (,)- किसी वाक्य को लिखते या पढ़ते समय जहाँ बहुत कम या थोड़ा समय के लिए रुकते हैं वहाँ अल्प विराम का प्रयोग किया जाता है।
अधिक वस्तुओं, व्यक्तियों आदि को अलग करना हो, वहाँ पर भी अल्पविराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे-
उसने आने को कहा था, अतः उसकी प्रतीक्षा करूँगा।
हाँ, मैं भी तुम्हारे साथ चलूँगा।
भारत में चना, मक्का, जौ, बाजरा आदि बहुत सी फासले उगाई जाती हैं।
जब संवाद लिखते हैं, तब अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है; जैसे-
नेताजी ने कहा, “तुम मुझे खुन दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा।”
संवाद लिखते समय ‘हाँ’ और ‘नहीं’ के पश्चात भी अल्पविराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता है; जैसे-
मोहन : सोहन, क्या तुम कल गाँव जा रहे हो?
सोहन : नहीं, दो दिन के बाद जाऊँगा।
हिन्दी में अल्पविराम चिन्ह का प्रयोग निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जाता है-
अकों को लिखते समय-1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, आदि।
एक ही प्रकार के शब्दों के प्रयोग या एक ही प्रकार के वाक्यांश की पुनरावृति होने पर जैसे-
मैं दौड़, दौड़कर थक गया।
तारीख और महीने का नाम लिखने के बाद जैसे-
2 फरवरी, 2020
3 मार्च, 2020
8 जून 2020 आदि।
4. प्रश्नवाचक चिन्ह (Question Mark) (?)- बातचीत के दौरान जब किसी से कोई बात पूछी जाती है या कोई प्रश्न किया जाता है तब वाक्य के अंत में प्रश्नसूचक- चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे- तुम कहाँ जा रहे हो?, तुम्हारा नाम क्या है? तुम क्या खा रहे हो ?
इस चिन्ह का प्रयोग निम्नलिखित अवस्थाओं में किया जाता है
जहाँ प्रश्न करने का बोध होता हो। जैसे- क्या आप पटना से आ रहे है?
जहाँ स्थिति निश्चित न हो। जैसे- आप शायद दिल्ली के रहने वाले है?
जहाँ व्यंग्य किया जा रहा हो। जैसे- भ्रष्टाचार इस युग का सबसे बड़ा उत्तम शिष्टाचार है न?
जहाँ ईमानदारी होगा वहाँ बेईमानी कैसे टिक सकती है?
इस चिन्ह का प्रयोग संदेह प्रकट करने के लिए भी किया जाता है; जैसे- क्या कहा, वह प्रतिष्ठित है?
5. विस्मयादि बोधक (Sign of Interjection) (!)- विस्मयादि बोधक चिन्ह का प्रयोग हर्ष, विषाद, घृणा, आश्चर्य, करुणा, भय इत्यादि का बोध होने के लिए इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे-
वाह! आपका यहाँ कैसे आना हुआ?
आदर सूचक शब्दों, पदों और वाक्यों के अंत में इसका प्रयोग किया जाता है। जैसे-
वाह! तुम्हारे क्या कहने!
बड़ों का आदर संबोधित करने में इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे-
हे राम! मेरा दुःख दूर करो। हे ईश्वर! सबका कल्याण करो।
अपने से छोटे के प्रति शुभ कामनाएँ देने के लिए इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे-
भगवान तुम्हारा भला करे! यशस्वी रहो!
जहाँ मन की हँसी-खुशी को व्यक्त करना हो। जैसे-
तुम्हारी जीत होगी, शाबाश! वाह! वाह! तुमने बहुत अच्छा गीत गाया।
विस्मयादि बोधक चिन्ह में प्रश्नकर्ता उत्तर की अपेक्षा नहीं करता है।
संबोधनसूचक शब्द के बाद में; जैसे-
मित्रों! आज अभी मैं जो आप सब को कहने जा रहा हूँ।
साथियों! आज हमें अपने देश के लिए कुछ करने का समय आ गया है।
6. योजक या विभाजक चिन्ह (Hyphen) (-)- इस चिन्ह का प्रयोग सामासिक शब्दों, सा, सी, से आदि से पहले, शब्द युग्मों, द्वित्व शब्दों, पूर्णांक से कम संख्या भाग बताने के लिए किया जाता है। जैसे-
सुख-दुःख, आगमन-प्रस्थान, यश-अपयश आदि
हिरनी-सी आँखें, मोती-से अक्षर, फूल-सा बच्चा आदि
एक-तिहाई, एक-चौथाई आदि।
7. अवतरण या उद्धहरण चिन्ह (Inverted Comma) ( “….” ‘….’ )- इस चिन्ह का प्रयोग किसी कथन के मूल अंश को उद्धृत करने तथा व्यक्ति, पुस्तक, उपनाम आदि के लिए किया जाता है।
उद्धहरण चिन्ह के दो भेद हैं-
इकहरा उद्धहरण चिन्ह( ‘….’ ) इकहरा चिन्ह का प्रयोग किसी के उपनाम रचना या पुस्तक के शीर्षक आदि के लिए करते है। जैसे-
‘प्रियतम’ कविता के रचयिता श्री सूर्य कान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है।
‘कुरुक्षेत्र’ कविता रचयिता रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हैं।
सन् 1930 में ‘हँस’ पत्रिका और 1932 में ‘जागरण’ पत्रिका निकला था।
‘रामचरित मानस’ तुलसीदास की विश्वप्रसिद्ध रचना है।
दोहरा उद्धहरण चिन्ह( “……” )– किसी पुस्तक के कोई खास वाक्य या किसी के द्वारा कहे हुए वचन को ज्यों का त्यों लिखने के लिए दोहरा उद्धहरण चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे-
लाल लाजपत राय ने कहा, “स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है”।
8. आदेश चिन्ह या विवरण चिन्ह (Sign of Following) ( :- )- जब किसी विषय को क्रम से लिखना हो तो विषय-क्रम व्यक्त करने से पहले आदेश सूचक चिन्ह ( :- ) का प्रयोग किया जाता है। जैसे-
क्रिया के दो भेद है:- अकर्मक क्रिया और सकर्मक क्रिया
वाचन के दो भेद है:- एकवचन और बहुवचन
9. कोष्ठक (Bracket) ( () )- कोष्ठक का प्रयोग निम्न स्थितियों में किया जाता है एकांकी अथवा नाटक में रंग मंचीय संकेतों को स्पष्ट करने के लिए। जैसे-
- सैनिक (प्रणाम करते हुए) महाराज की जय हो।
- किसी पद का अर्थ स्पष्ट करने के लिए: जैसे- सावित्री ने सत्यवान (अपने पति) के प्राणों की रक्षा की।
राष्ट्रीय त्योहार (स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस) राष्ट्रीय एकता बढ़ाने में सहायक हैं।
यहाँ लेखन सामग्री (रजिस्टर, कलम, स्याही आदि) सब मिल जाएगी।
10. हंसपद या त्रुटीपरक चिन्ह (Sign of leftout) ( * )- वाक्य में जब कोई शब्द आदि छुट जाता है, तब इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे- सूरदास जी ने* सूरसागर की रचना की।
11. लाघव चिन्ह (Abbreviation Sign) (०)- किसी बड़े तथा प्रसिद्ध शब्द को संक्षेप में लिखने के लिए, उस शब्द का पहला अक्षर लिखकर उसके आगे शून्य (०) लगाया जाता हैं। यह शून्य ही लाघव-चिन्ह लहलाता है। जैसे-
पंडित का लाघव-चिन्ह पं०
डॉक्टर का लाघव-चिन्ह डॉ०
प्रोफेसर का लाघव-चिन्ह प्रो० होगा
12. लोप चिन्ह (Mark of Omission) (….)- जब वाक्य या अनुछेद में कुछ अंश छोड़ कर लिखना होता है तब लोप चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
जैसे- गांधी जी ने कहा, “परीक्षा की घडी आ गई है………………हम करेंगे या मरेंगे”।
13. उप विराम या अपूर्ण विराम (Colon) (:) – जहाँ वाक्य पूरा नहीं होता हो, बल्कि किसी वस्तु अथवा विषय के बारे में बताया जाता है, वहाँ उप विराम या अपूर्ण विराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे-
शंकर भगवान के अनेक नाम हैं : भोलेनाथ, शम्भू, शिव, नीलकंठ, नागेश्वर आदि।
कृष्ण भगवान के अनेक नाम हैं : गोपाल, गिरिधर, वंशीधर, मुरलीधर, आदि।
14. रेखांकन चिन्ह (Underline) ( _ ) :- जब वाक्य में महत्वपूर्ण शब्द, पद, वाक्य रेखांकित करना होता है तब इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे- गोदान उपन्यास, प्रेमचंद द्वारा लिखित सर्वश्रेष्ठ कृति है।
15. पुनरुक्ति सूचक चिन्ह (Repeat Pointer Symbol) (‚‚)- पुनरुक्ति चिन्ह का प्रयोग ऊपर लिखे किसी वाक्य के अंश को दुबारा लिखने से बचने के लिए किया जाता है। जैसे-
16. निर्देशक चिन्ह (Dash) या रेखिका (-) इस चिन्ह का प्रयोग आगे आने वाले विवरण को संकेतिक करने के लिए किया जाता है; जैसे-
ग्राहक- इस बैग का क्या मूल्य है?
दूकानदार- यह सौ रुपया का है
मुझे यहाँ अच्छे पोस्ट मिले। मुझे आपका लिखना पसंद है। उत्तम!
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धन्यवाद आपका
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