कारक (case) के प्रकार और विभक्ति चिन्ह
कारक की परिभाषा- संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य के अन्य शब्दों के साथ उसके संबंध का बोध होता है, उसे कारक कहते हैं। हिन्दी में आठ (8) कारक हैं- कर्ता, कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, सम्बन्ध, अधिकरण और सम्बोधन
कारक के विभक्ति चिन्ह
कारक के विभक्ति चिन्ह- संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों के बाद ने, को, से, के लिए आदि जो चिन्ह लगाते हैं, वे चिन्ह कारक के विभक्ति कहलाते हैं। उदाहरण- राम ने रावन को मारा, मोहन ने खत लिखा, सोहन ने घोड़े को डंडा से मारा।
कारक | चिन्ह | लक्षण | विभक्तियाँ |
कर्ता | ने | जो काम करे | प्रथमा |
कर्म | को | जिस पर क्रिया का फल पड़े | द्वितीया |
करण | से, के द्वारा | काम करने का साधन | तृतीय |
सम्प्रदान | को, के लिए | जिसके लिए किया जाए | चतुर्थी |
अपादान | से (अलग होना) | जिससे कोई वस्तु अलग हो | पंचमी |
सम्बन्ध | का, के, की और रा, रे, रि | जो एक शब्द को दूसरे से सम्बंध जोड़े | षष्ठी |
अधिकरण | में, पर | जो क्रिया का आधार हो | सप्तमी |
सम्बोधन | रे!, हे!, हो!, अरे! | किसी को बुलाया जाए | सम्बोधन |
कारक के चिन्ह को याद करने के लिए इसे पढ़े
कर्ता ने कर्म को करण से, के द्वारा पहचान।
संप्रदान को, के लिए, अपादान से (अलग हो) को मान।
का, के, की और रा, रे, री, से संबंध व अधिकरण में, पर।
रे! हे!! हो! अरे संबोधन, को सभी धरो यह ध्यान।
कर्ता कारक- कर्ता का अर्थ होता है, काम करने वाला। संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया करने का बोध होता है, उसे कर्ता कारक कहते हैं। कर्ता कारक का विभक्ति चिन्ह ‘ने’ है। जैसे- विकास ‘ने’ पत्र लिखा।
राम ‘ने’ रावन को मारा।
मोहन ‘ने’ पाठ पढ़ा।
मीरा ‘ने’ मुझे बुलाया।
कर्म कारक- संज्ञा या सर्वनाम के द्वारा दिया गया क्रिया का फल या प्रभाव जिस पर पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते हैं। कर्म कारक का विभाक्ति चिन्ह ‘को’ है। जैसे-
पिता ने बालक ‘को’ बुलाया।
शिक्षक ने बच्चों ‘को’ पढ़ाया।
गोपाल ने राधा ‘को’ बुलाया।
करण कारक- जिसकी सहायता से जब कोई काम होता हो, वह संज्ञा या सर्वनाम शब्द करण कारक कहलाता है। करण कारक का विभक्ति चिन्ह से, के द्वारा हैं। जैसे-
पत्र को कलम ‘से’ लिखा गया।
उसने आरी ‘से’ लकड़ी काटा।
रावन राम ‘के द्वारा’ मारा गया।
संप्रदान कारक- संप्रदान का शाब्दिक अर्थ होता है ‘देना’। जिसके लिए कुछ कार्य किया जाए या जिसे कुछ दिया जाए, वह संज्ञा या सर्वनाम संप्रदान कारक कहलाता है। संप्रदान कारक का विभक्ति चिन्ह को, के लिए है। जैसे-
सूरज ने शनि ‘को’ फल दिया।
उस महिला ने भूखे ‘को’ भोजन दिया।
माँ अपने बच्चे ‘के लिए’ दूध ले आई।
अपादान कारक- संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से अलग होने का भाव प्रकट होता है, उसे अपादान कारक कहते हैं। इसका परसर्ग से होता है। अपादान कारक का विभाक्ति चिन्ह से (अलग होना) होता है। जैसे-
कोयल पेड़ ‘से’ उड़ गई।
पहाड़ों ‘से’ झरना बहा।
पेड़ ‘से’ पते गिर गए।
संबंध कारक- संज्ञा के जिस रूप से किसी वस्तु का दूसरी वस्तु से संबंध प्रकट होता है, उसे संबंध कारक कहते हैं। संबंध कारक का विभक्ति चिन्ह का, के, की और रा, रे, री है। जैसे-
वह राम ‘का’ बेटा है।
यह सुरेश ‘की’ बहन है।
वह राम ‘का’ घर है।
अधिकरण कारक- संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के आधार या उसके होने के स्थान या समय का बोध होता है, उसे अधिकरण कारक कहते हैं। अधिकरण कारक के विभक्ति चिन्ह में, पर है। जैसे-
डाल ‘पर’ चिड़िया बैठी है।
बच्चे कक्षा ‘में’ बैठे हैं।
सम्बोधन कारक- सम्बोधन का अर्थ होता है पुकारना या सम्मान देना। शब्द के जिस रूप से किसी को बुलाने या पुकारने का भाव प्रकट होता है, उसे सम्बोधन कारक कहते हैं। सम्बोधन कारक के विभक्ति चिन्ह रे!, हे!, हो!, अरे! हैं। जैसे-
हे ईश्वर! आप हम सबकी रक्षा करो।
अरे सीमा! इधर आओ।
कर्म कारक और सम्प्रदान कारक में अंतर: इन दोनों कारक में ‘को’ विभक्ति चिन्ह का प्रयोग होता है। दोनों कारको में ‘को’ परसर्ग का प्रयोग किया गया है। कर्म कारक में क्रिया के व्यापार का फल कर्म पर पड़ता है। और सम्प्रदान कारक में देने के भाव में या उपकार के भाव में को का प्रयोग होता है। जैसे-
मैं सुमन को समझाउँगा। (कर्म कारक) इस वाक्य में समझाने की क्रिया का फल सुमन पर पड़ता है। अतः यह कर्म कारक है।
विकास ने सोहन को आम दिया। (सम्प्रदान कारक)
इस वाक्य में देने का भाव है, अतः यह सम्प्रदान कारक है।
करण कारक और अपादान कारक में अंतर: करण कारक और अपादान कारक दोनों में ‘से’ चिन्ह का प्रयोग होता है। अर्थ के आधार पर दोनों में अंतर है। करण कारक में जहाँ पर से का प्रयोग साधन के लिए होता है, वहीं अपादान कारक में अलग होने के लिए किया जाता है। कर्ता कार्य करने के लिए जिस साधन का प्रयोग करता है, उसे करण कारक कहते हैं। लेकिन अपादान में दूर या अलग होने का भाव है। जैसे-
मैं कलम ‘से’ लिखता हूँ। इस वाक्य में लिखने की क्रिया कलम से हो रही है, यानी कलम लिखने की क्रिया का साधन है। अतः यह करण कारक है।
गंगा हिमालय ‘से’ निकलती है। इस वाक्य में पृथक यानी अलग होने का भाव है अतः यह
अपादान कारक है।
That’s really helped in my exam
Thanks (अभिवेक्ति टीम)
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