बुझ त जानी (भोजपुरी बुझौअल) : Riddles

लोक साहित्य की जब भी बात चलती है, तब मन लौट कर लोक जन-जीवन की ओर पहुँच जाता है। जहाँ जाकर लोकगीत, लोक-कला, कथा-कहावतों और लोकोक्तियों का दिव्य दर्शन होता है। मन आनंद विभोर हो जाता है। यह अलिखित लोक साहित्य जन-जीवन के जिह्वा पर होता है और पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ता रहता है। लोक-गीतों और लोक-कथाओं को कहने-सुनने में थोड़ा समय लगता है, किन्तु लोकोक्तियाँ और बुझौअल सूक्ष्म, सौम्य और प्रभावशाली होती हैं। इसे कहने में समय भी कम लगता है और बात भी पूरी हो जाती है।

लोकोक्तियों को दो भागों में विभक्त करना उचित होगा- एक पहेलियाँ (बुझौअल) और दूसरी कहावतें। पहेलियाँ मानव बुद्धि की कसौटी और ज्ञान की पराकाष्ठा हैं तो बुझौअल स्मरण शक्ति और बुद्धि बढ़ाने की कला। एक दिन मैं एक कहानी पढ़ रही थी। उस कहानी में एक  ‘बुझौअल’ था। उसे पढ़ने के बाद अचानक मुझे आजी की कही हुई कई बुझौअल याद आने लगी।  उनके द्वारा कही गई राजा-रानी की कहानियाँ, छोटी-छोटी कथाएँ, कहावतें और कई बुझौअल भी। मुझे आजी की एक बुझौअल अचानक याद आ गई। जिसे वो मुझसे पूछती थी। पहले लोग बात-बात में कहावतें और बुझौअल आदि का प्रयोग किया करते थे।

मेरी आजी गुड़गुड़ी पीती थी। उस गुड़गुड़ी में मैं भी कभी-कभी आग भर दिया करती थी। मुझे उसमे आग भरना अच्छा लगता था। कभी-कभी मैं भी गुडगुडा लेती थी। मुझे तो जोर से खाँसी होने लगता था। आजी जब थक जाती या चिंता में होती थी, तब गुड़गुड़ी अधिक पीती थी। उस दिन आजी बहार से थक कर आई थी। मैं आजी को चिता में देखकर बोली, आजी! मैं आपके गुड़गुड़ी में आग भर के लाऊं क्या? आजी मेरी बात सुनकर हँस पड़ी और बोली, पहले एक बुझौअल बूझो तब लाना, मैं बोली, “बोलिए (बुझाइए) आजी! आजी बोली,

“इनार बा, इनार में ताखा बा, ताखा में धामी बा,

धामी धडक ता, केहू लेता, केहू देता, केहू तरसत बा”।

आजी का यह बुझौअल सुनकर मैं सोचने लगी। बहुत सोचने के बाद मुझे उसका उतर नहीं आया। मैं बोली आजी मुझे समझ नहीं आ रहा है, आप ही उतर बता दीजिए। आजी ने मुझे हिंट्स भी दिया, फिर भी मैं बुझौअल का उत्तर नही बता सकी। आजी बोली, तू अभी तो मेरे लिए लेकर आई है। मैं बोली, क्या आजी? अरे! बेटा यही तो है- ‘नारियल-चिलम’। उसी दिन मेरे मन में विचार आया क्यों न मैं भोजपुरी की कुछ बुझौअल जो मुझे याद है, उसे सबके सामने रख दूँ। यह सोचकर कुछ भोजपुरी के बुझौअल यहाँ लिख रही हूँ। आप सब इसे जरुर पढ़िए और अपनी प्रतिक्रिया दीजिएगा।

  1. एक चिड़ियाँ अट, ओकर पाँख दुनों फट, ओकर खलरा ओदार, ओकर मास मजेदार।
  2. कटोरा पर कटोरा, बेटा बाप से भी गोरा।
  3. लाल गाय, खर खाए, पानी पिए मर जाए।
  4. ललका गईया बड़ी मरखईया, ओकर दुधवा, बड़ा मीठईयां।
  5. करिया आँटी गईल आकाश, दांते धईलन बाप तोहार।
  6. हरी थी, मन भरी थी, लाख मोती जड़ी थी, राजा जी के बाग में दोशाला ओढ़े खड़ी थी।
  7. पत्थल पर पत्थल, पत्थल पर पईसा, बिन पानी के घर बनावे ऊ कारीगर कैसा?
  8. मुँह में आगि, पेट में पानी, जे बुझे ऊ बड़का ज्ञानी।
  9. जब-जब किला पर नाक रगड़ब, तब-तब होई बहुत अँजोर।
  10. राजा के बेटा नाबाबे के नाती, सौ गज कपड़ा के बांधेला गांती।
  11. छोटी चुकी बिटिया, काटे बड़ी छीनियां, बड़े-बड़े मर्दन के छुटा देले पसेनियाँ।
  12. सावन फरे, चईत गदराए। ताकर फर सुग्गो ना खाए।
  13. फरे ना फुलाए, भर ढाका तुराय।
  14. एक मुठ्ठी लाई आकाश में छीटाई, ना बिनले बिनाई ना गिनले गिनाई।
  15. आली के ढमढम, चाकर बा पतईन, फरे के लद-फद, फर गईल मिठईन।
  16. काजर जस करिया बेटी, इंगुर के सिंगार, बईठल बाड़ी पतरी डाढ़ी देखत बा संसार।
  17. संउसे ताल में एकेगो थरिया।
  18. अस्सी कोस के पोखरा, चौरासी कोस के घाट,

बजर परो पोखरा कि पंडुक पियासल जास।

  1. दोसरा घरे गईनी, निकाल के बईठनी।
  2. सब कोई चल गईल बुढ़ावा लटक गईल।
  3. लाल ढकना, टहकार ढकना, खोल ढकना, पहुँचाव पटना।
  4. एगो लईकिया के नकवे टेढ़।
  5. लाल गाय खर खाएँ, पानी पीये मर जाए।
  6. उजर बकरी झप्पर कान, चल रे बकरी शहर बजार।
  7. एगो लईकिया के पेटवे फाटल।
  8. एने गईनी, ओने गईनी, गईनी कलकतवा। बतीस गो पेड़ में एके गो पतवा।
  9. उजर देह में हरियर पूछ, ना बुझाए त दोसरा से पूछ।
  10. पहिला कटी त ‘गीत’ सुनाई, बीच कटी त ‘संत’ बन जाई।

अंतिम कटे त बन जाए ‘संगी’ सब मिलके सबके मन भाए।।

  1. छोटी चूकी राम जी, बड़का पूछ, जहाँ जाले राम जी उंहा जाला पूछ।
  2. करिया घोड़ा पर उजर सवारी, एगो उतरे दोसरा के बारी।
  3. बुझ बाबू एक बुझौअल, जब काटे तब निकले नवेली।
  4. बीच कटे त ‘कम’ बन जाये अंत कटे त ‘कल’।

लिखे खातिर काम आवेला सोच के बताव ओकर नाम।।

  1. जेतने बट ब, ओतने बढ़ी।
  2. बुझी एगो पहेली, काट के सिर नमक छिड़कनी।
  3. बीसों सिर काट देहनी, ना मरनी, ना खुन बहवनी।
  4. एगो घईला में दू रंग के पानी।
  5. एक जीव असली, ओकर हाड़ न पसली।
  6. एक नारी, पुरुष बा ढेर, सबसे मिले एक ही बेर।
  7. एगो पेड़ पर, ओखड़ी अनेक।
  8. कान अईठत तुरंते रोये, ओकर लोर (आँसू) प्यास बुझावे।
  9. करिया बा, लेकिन कौआ नइखे,

नाक से करे आपन काम, तू बताव ओकर नाम।

  1. घर-घर भैंसी, नाथल घूमे।
  2. ऊपर बईठली बन के रानी, सिर पर आग बदन में पानी।
  3. जे किनल ऊ पहिनल ना, जे पहिनल उ देखल ना।
  4. उनका अँगना गईनी, त ऊ बिना मंगले देली।
  5. दूध के जान, दही के बच्चा, सब केहू खाला ओकरा के कच्चा।
  6. पंख बिना उड़े अकेला बांध गला में डोर।

बतलाव ई चिरई के नाम जे नापे अंबर से डोर।

  1. बीच ताल में बसे तिवारी, बे कुंजी के लगे केवाड़ी।
  2. माथपुर के राजा, चिटुकीपुर धरईले, तरहथीपुर विचार के नोहपुर मरईले।
  3. सोना के श्यामप्यारी, सोने के पिंजरवा, उड़ गईली श्यामप्यारी रह गईल पिंजरवा।
  4. हाथ गोर हईले नइखे, पीठ पर पाँच ऊँगली।

बुझौअल के उत्तर

1. गन्ना 2. नारियल 3. आग 4. मध (शहद) 5. ताड़ का पेड़ 6. भुट्टा (मक्का) 7. मकड़ा (मकड़ी) 8. हुक्का 9. माचिस 10. प्याज 11. बिच्छू 12. बबूर 13. पान का पत्ता 14. आसमान के तारे 15. केला 16. जामुन 17. चनरमा (चाँद) 18. ओस 19. जूता 20. ताला 21. डाकखाना 22. चना 23. आग 24. मूली 25. गेहूँ 26. जीभ 27. मुरई (मूली) 28. संगीत 29. सुई-धागा 30. रोटी-तावा 31. कठपेन्सिल (पेन्सिल) 32. कलम 33. ज्ञान 34. खीरा, 35. नाखून 36. अंडा  37. जोंक 38. कंघी 39. कटहल का पेड़ 40. नल का पानी 41. हाथी 42. तराजू 43. मोमबत्ती 44. कफन 45. पीढ़ा 46. मक्खन 47. पतंग 48. घोंघा 49. ढील (जूआँ) 50. आत्मा 51. चिपड़ी- (गोइठा)।

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