आया बसंत, आया ऋतुराज,
भू पर लाया खुशियों का सौगात।
बाग-बगीचे हुए खुशहाल,
खेतों में फूले सरसों भरमार।
आम के पेड़ों पर लदे मोजरें,
झूम के गाये प्यारी कोयल।
पीली सरसों हवा में झूमे,
झूम-झूम के गीत सुनाये।
अलसी खेतों में डोल रही है,
डोल-डोल कुछ बोल रही है।
रंग-बिरंगी धरा हो रही,
प्रकृति ओस से रोज नहाये।