तुमसे है अनुरोध सखा, आया है एक संदेशा सखा। देख अनुरोध आई मुस्कान, मालूम न था हम दोनों मिलेंगे। मिलकर दोनों जुदा हुए थे, पर पता नही था कैसे मिलेंगे? मन में थी आशा फिर भी सखा, पर था यह बहुत कठिन सखा। हो! धन्यवाद आनन ग्रंथ (फेसबुक) का, बिछड़ों को मिला दिया इसने सखा।
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आनन ग्रंथ (फेसबुक) कविता
मिडिया पर आई एक नई किताब, कहते हैं जिसे आनन ग्रंथ (फेसबुक)। यह आनन ग्रंथ निराला है, लगता है सबको प्यारा है। लॉग इन करके मित्र बनाते, और बढ़ाते अपनी पहचान। औरों की बात हम सुनते हैं, अपनी बात सुनाते है। सबकी होती सबसे पहचान, साझा करते सब अपनी बात। मित्र बनाते हैं सब मिलजुल,… Continue reading आनन ग्रंथ (फेसबुक) कविता