रीतिकाल में प्रमुख तीन काव्य धाराएँ थी- रीतिबद्ध, रीतिसिद्ध और रीतिमुक्त। कवि घनानंद रीतिमुक्त काव्यधारा के अग्रणी कवि थे। कवि के व्यक्तित्व और कृतित्व की रचना उनके कवित्व ने स्वयं ही की है- “लोग हैं लागि कवित्त बनावत, मोहे तौ मेरे कवित्त बनावत” अनुमान से इनका जन्म का समय संवत् 1730 के आसपास माना जाता… Continue reading रीतिकालीन कवि: घनानंद
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हिन्दी साहित्य के मुस्लिम लेखक : गंगा जमुनी तहज़ीब (रसखान)
हिन्दी साहित्य के इतिहास में आदिकाल से लेकर आधुनिक काल तक अनेकों मुसलमान लेखकों ने हिन्दी साहित्य को समृद्ध करने में विशेष भूमिका निभाई है। उसीप्रकार कई हिन्दू रचनाकारों ने भी उर्दू साहित्य को समृद्ध करने का काम किया है। हिन्दी साहित्य के रीतिकाल में रीतिमुक्त धारा के कविओं में रसखान का महत्वपूर्ण स्थान है।… Continue reading हिन्दी साहित्य के मुस्लिम लेखक : गंगा जमुनी तहज़ीब (रसखान)