‘आधुनिकतावाद’ शब्द अंग्रेजी के ‘मॉडर्निज्म’ का हिंदी रूपान्तर है। इसका अर्थ होता है- अनुपयोगी परंपराओं का त्याग एवं इहलौकिक दृष्टिकोण।
परिभाषाएँ-
हिंदी साहित्यकोश भाग-1 – “सामान्य प्रयोग में आधुनिक शब्द को बहुत दूर तक समय सापेक्ष मान लिया जाता है—–आधुनिकता की पहली और अनिवार्य शर्त स्वचेतना है।”
डॉ. बच्चन सिंह के शब्दों में – “आधुनिकतावाद की मुख्य तीन विशेषताएँ हैं- स्वात्मचेतना, आंदोलन और प्रयोग।”
गंपतिचंद्र गुप्त के शब्दों में – “पुरातन के मोह का त्याग एवं वस्तुओं तथा विचारों के प्रति उपयोगितापूर्ण नवीन दृष्टिकोण आधुनिकतावाद है।”
रामचंद्र तिवारी के शब्दों में – “प्राचीन मान्यताओं को नवीन सन्दर्भों में देखना आधुनिकतावाद है।”
आधुनिकतावाद का उद्भव और विकास-
1. टी. एस. इलियट की काव्य कृति ‘दि वेस्टलैंड’ एवं जेम्स ज्वायस का उपन्यास ‘यूलिसेस’ 1922 ई. में प्रकाशित हुई इन रचनाओं को आधुनिकतावाद का आधार या बीज तत्व माना जाता है।
2. आधुनिकतावाद के प्रवर्तक सिगमड फ्रायड माने जाते हैं।
3. आधुनिकतावाद 1960 ई. के लगभग एक आंदोलन के रूप में विकसित हुआ था।
4. हिंदी में आधुनिकतावाद के ‘जनक’ भारतेंदु माने जाते है किन्तु इसका पूर्ण विकास नयी कविता में दिखाई देता है।
आधुनिकतावाद की मान्यताएँ/ विशेषताएँ:
* आधुनिकतावाद में आत्मबोध, वैयक्तिकता, आत्मपरकता का भाव प्रमुख है। इस भाव के कारण ही साहित्य में विसंगतियों, अकेलेपन, संत्रास, पीड़ा, अजनबीपन आदि की अभिव्यक्ति हुई।
* निराशा और नकारात्मकता की प्रधानता आधुनिकतावाद का प्रमुख पक्ष है।
* आधुनिकतावाद में ईश्वर एवं प्राचीन मूल्यों के प्रति अनास्था का भाव सर्वोपरि है।
* आधुनिकतावाद ऐतिहासिक, सामाजिक, धार्मिक, वैचारिक प्रकृति यौन दमन आदि को स्वीकार नहीं करता है।
* आधुनिकतावाद साहित्य के मूल में मनुष्य है।
* आधुनिकतावाद में समाज के स्थान पर व्यक्ति को महत्व दिया गया है।
* भाषा, शैली के संदर्भ में नवीन प्रयोग, नये भावबोध और लघु एवं सामान्य मानव को महत्व देना।