लिंग- संज्ञा के जिस रूप से किसी व्यक्ति या वस्तु के नर या मादा जाती का बोध होता हैं उसे लिंग कहते हैं। जैसे- दादा, दादी, माता, पिता, शेर, शेरनी, लड़का, लड़की आदि।
लिंग के तीन प्रकार होते हैं-
पुल्लिंग- जिन शब्दों से ‘पुरुष’ या ‘नर’ जाती का बोध होता है उसे पुल्लिंग कहते हैं। जैसे- पिता, भाई, लड़का, राजा, शेर आदि।
पुल्लिंग के अपवाद शब्द
पंक्षी, फरवरी, एवरेस्ट, मोतिया, दिल्ली, स्त्रीत्व आदि
पुल्लिंग कि पहचान- जिन शब्दों के पीछे अ, त्व, आ, आव, पा, पन, न, आदि प्रत्यय आते हैं वे पुल्लिंग होते हैं।
जैसे- मन, तन, वन, शेर, राम, सतीत्व, देवत्व, मोटापा, चढ़ाव, बुढ़ापा, लड़कपन, बचपन, कृष्ण, आदि।
पर्वतों के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे- हिमालय, सतपुरा, कंचनजंगा, माउन्ट, कैलाश आदि
दिनों के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे- सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार।
देशों के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे- भारत, रूस, जापान, अमेरिका, हिमाचल, पटना आदि।
धातुओं के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे- सोना, चांदी, पीतल, लोहा, ताम्बा, पारा आदि।
नक्षत्रों के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे- सूर्य, चन्द्र, राहू, मंगल, शक्र, आकाश, बृहस्पति आदि।
महीनों के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे- फरवरी, मार्च, चैत, आषाढ़, फागुन आदि।
द्रव्यों के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे- पानी, तेल, घी, शरबत, दही, दूध आदि।
पेड़ों के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे- केला, पपीता, नीम, अशोक, अमरूद, बरगद, जामुन, शीशम, देवदार आदि।
सागर के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे- हिन्द महासागर, प्रशांत महासागर, अरब महासागर आदि।
समय के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे- घंटा, मिनट, पल, क्षण सेकेण्ड आदि।
अनाजों के नाम पुल्लिंग होते है।
जैसे- गेहूँ, बाजरा, चना, जौ, चावल आदि
वर्णमाला के अक्षरों के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे- अ, उ, ए, ओ, क, ख, ग, घ, च, छ, य, र, ल, व, श आदि।
प्राणीवाचक शब्द से हमेशा पुरुष जाति का ही बोध होता हैं।
जैसे- बालक, कौआ, गीदड़, कवि, साधु, चीता, मच्छर, पक्षी आदि।
समूहवाचक संज्ञा भी पुल्लिंग होता है।
जैसे- समाज, मण्डल, दल, सभा, पंचायत आदि।
रत्नों के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे- नीलम, पुखराज, मूँगा, माणिक्य, मोती, हीरा, पन्ना आदि।
फूलों के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे- कमल, गेंदा गुलाब आदि
द्वीपों के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे- अंदमान निकोबार, जावा, क्यूबा आदि।
शरीर के अंग पुल्लिंग होते हैं।
जैसे- हाथ, पैर, कान, नाक, अंगूठा, सर, मुंह, घुटना, दांत, मस्तक, गला आदि।
‘दान’ और ‘खाना’ वाले से समाप्त होने वाला शब्द हमेशा पुल्लिंग होते है।
जैसे- दवाखाना, जेलखाना, पीकदान, दुधवाल, दूकानवाला, खानदान आदि।
भारी और बेढौल वस्तु पुल्लिंग होते है।
जैसे- पहाड़, रस्सा, लोटा, जूता आदि।
आकारांत संज्ञा पुल्लिंग होती हैं।
जैसे- पैसा, छाता, गुस्सा, चश्मा आदि।
स्त्रीलिंग- जिन शब्दों ‘स्त्री’ या ‘मादा’ जाती का बोध होता हैं उसे स्त्रीलिंग कहते हैं।
जैसे- लड़की, माता, रानी, गाय, गंगा, गर्दन, घोड़ी, लज्जा, मुर्गी, लक्ष्मी, शेरनी आदि।
स्त्रीलिंग कि पहचान- जिन संज्ञा शब्दों के पीछे ख, ट, वट, हट, आनी आदि आते है वे सभी स्त्रीलिंग कहलाते हैं।
जैसे- बनावट, करवाहट, शत्रुता, मुर्खता, प्यास, ईख, चोख, झंझट, जेठानी, ठकुरानी, सजावट, राजस्थानी, चिकनाहट, कोख, इन्द्राणी आदि।
स्त्रीलिंग के अपवाद
जैसे- जनवरी, मई, जुलाई, पृथ्वी, मक्खी, ज्वार, अरहर, मूंग, काफी, लस्सी, चटनी, इ, ई ऋ, जीभ, आँख, नाक, उँगलियाँ, सभा, कक्षा, संतान, प्रथम, तिथि, छाया, खटास, मिठास आदि।
स्त्रीलिंग प्रत्यय- जब पुल्लिंग शब्दों को स्त्रीलिंग बनाया जाता हैं तब प्रत्ययों को शब्दों के साथ जोड़ा जाता है, उन्हें स्त्रीलिंग प्रत्यय कहते हैं।
जैसे- ई = बड़ा- बड़ी, भला– भली आदि।
इनी = योगी- योगिनी, कमल- कमलिनी आदि।
इन = धोबी- धोबिन, तेल- तेलिन आदि।
नी = मोर- मोरनी, चोर- चोरनी आदि।
आनी = जेठ- जेठानी, देवर- देवरानी आदि।
आइन= ठाकुर- ठाकुराइन, पंडित- पण्डिताइन आदि।
इया= बेटा- बिटिया, लोटा-लुटिया आदि
भाषा, बोलियाँ तथा लिपियों के नाम स्त्रीलिंग होती है।
जैसे- हिन्दी, संस्कृत, देवनागरी, पहाड़ी, फारसी, पंजाबी, बंगाली, अरबी, आदि।
नदियों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं।
जैसे- गंगा, यमुना, गोदावरी, रावी, कावेरी, सरस्वती, झेलम, कृष्णा आदि।
तारीखों और तिथियों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं।
जैसे- पहली, दूसरी, पूर्णिमा, अमावस्या, एकादशी, चतुर्थी, प्रथमा, प्रतिपदा आदि।
नक्षत्रों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं।
जैसे- रोहिणी, मृगशिरा, रेवती, भरणी, चित्रा, अश्विनी आदि।
प्राणीवाचक संज्ञा स्त्रीलिंग होते हैं।
जैसे- संतान, धाय, सौतन आदि।
पुस्तकों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं।
जैसे- गीता, रामायण, महाभारत, बाइबल, कुरान, रामचरित मानस आदि।
आहारों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं।
जैसे- दाल, सब्जी, पूरी, कचौरी, रोटी, पकौरी आदि।
शरीर के अंगों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं।
जैसे- आँख, नाक, जीभ, ऊँगली, ठोढ़ी, पलक आदि।
आभूषण और वस्त्रों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं।
जैसे- साड़ी, सलवार, धोती, चुन्नी, टोपी, पैंट, कमीज, पगड़ी, माला, चूड़ी, बिंदी, कंघी, नथ, अंगूठी आदि।
मशालों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं।
जैसे- हल्दी, मिर्च, धनिया, दालचीनी, इलाइची, अजवाइन, सौंफ, चाय, लौंग आदि।
राशि के नाम स्त्रीलिंग होते हैं।
जैसे- कुंभ, मीन, तुला, सिंह, मेष, कर्क, आदि।
आवश्यक नोट- जिस संज्ञा शब्द का लिंग परिवर्तन करना है उसे पहले उसका बहुबचन में परिवर्तन करे। बहुवचन में बदलने के बाद अगर शब्द के पीछे ‘ए’ या ‘आ’ आए तब वह स्त्रीलिंग होगा और अगर पीछे ए और आँ नहीं आता है तब वह शब्द पुल्लिंग होगा।
जैसे- पंखा- पंखे = ‘आ’ या ‘ए’ नहीं आया है तो यह पुल्लिंग है।
चाबी- चाबियाँ= यहाँ ‘आ’ आया है, अतः यह स्त्रीलिंग हैं
उभयलिंग- कुछ शब्द ऐसे होते हैं जो स्त्रीलिंग और पुल्लिंग दोनों में प्रयोग किया जाता है। जब वह स्त्रीलिंग के लिए प्रयोग किया जाता है तब स्त्रीलिंग और पुल्लिंग के लिए प्रयोग किया जाता है तब पुल्लिंग कहलाता है। जैसे- डॉक्टर, मंत्री, मनेजर, राजदूत आदि। इनकी पहचान क्रिया से होती है।