1. हे! माँ शारदे
काव्य कला के ज्ञान
का विवेक दे।
2. हे! वागेश्वरी
भर शब्दों में शक्ति
लेखनी पर।
3. हे! वीणा पाणी
सितार में झंकार
सुरीली लय।
4. हंसवाहिनी
सुर में यति गति
झंकार भर।
5. हे! स्वर दात्री
तानसेन वैजू को
लौटा दे धरा।
6. वर्तमान के
मकड़जाल में
उलझे हम।
7. फूलों की गंध
फैली आँगन में
बन खुशबु ।
8. ओष की बूंदे
घास पर मोती सी
चमक उठी।
9. बसंत ऋतु
कोयल की कुक से
प्रसन्न मन।
10. हरी धरती
नीला आकाश पर
फैला चादर।
11. बुलबुल बोले
मेरे आंगन अब
लगे सुहाना।
12. पड़ी रौशनी
धरती पर जब
बिखरे मोती।
13. बड़ी सुहानी
है बचपन रानी
झूमता मन।
14. स्वतंत्रता के
नायक रण में हो
तेरा ही नाम ।
15. शरद ऋतू
घनघोर घटाएँ
छुपा सूरज ।
16. उठो हिंद के
ऐ हिंदवासी जागो
धरा पुकारे।
17. बिना स्वर के
व्यंजन का नहीं है
कोई अस्तित्व।
18. कलियाँ खिली
कुसुम सुगंधित
बाग महके।
19. काली कोठरी
में कलयुग बैठा
भ्रमित बुद्धि ।
20. माँ की आंचल
में सुख का सागर
मिला सुकुन।
21. अंधेरी रात
जुगुनू की बारात
दिखाती राह।
22. नीली घटायें
छाई थी अंबर पे
मामा निकले ।
23. घने कोहरे
जैसे वृक्ष पहाड़
ओढ़े चादर।
24. अनुशासन
जीने का तरीका भी
प्रकृति सिखा।
25. जंगल शांत
गगन भी चुप है
और धरा भी ।
26. नीलाम्बर से
आई सुरीली स्वर
झमझमाती।
27. नदी के नाद
स्वर रागिनी बन
बरसी बूंदे।
28. नाव कागज
लहरों पे बलखाती
पार चली।
29. हे राम तुम
भारती को कष्टों से
मुक्ति दिलाओं।
30. पंख पसार
वन में नाचे मोर
वर्षा की ऋतू ।
31. कोयल कूके
अमिया मोजराए
गीत सुनाएं।
32. गाँव हमारा
सारे जहाँ से अच्छा
सोंधी महक।
33. जाड़े की धूप
लाल पीला सबेरा
छाया बसंत।
34. फैला आँचल
खिलता बचपन
बाहें फैलाए।
35. मेहनत से
भाग्य बदलता है
रेखा से नहीं।
36. उषा की बेला
नदी के तट पर
फैला उजाला ।
37. मैं समय हूँ
कर उपयोग मेरा
ढल जाऊँगा।
38. धर्म का भेद
मानव को लड़ाते
इस युग में।
39. समय जब
है अगर साथ तो
सब अपने।
40. घड़ी बताती
है सिर्फ समय ही
किस्मत नहीं।
41. भाग्य से कब
लेखक की लेखनी
शायर बना।
42. किसी की हंसी
बनने की कोशिश
बनी उदासी।
43. कालिख कब
अब काजल बना
पता ही नहीं।
44. चाहे रौशनी
सूर्य की हो या आशा
अँधेरा मिटा।
45. नीला गगन
खुला उड़े पतंग
भरे उमंग।
46. मकर राशि
रवि करे प्रवेश
पावन पर्व।
47. झील किनारे
डूबते लाली सूर्य
मोहित मन।
48. अनुशासन
सिखलाता है जीना
प्रेम सहित।
49. प्रकृति संग
संबन्ध जोड़ने से
जीवन सुखी।
50. निकला भानू
दूर हुआ अँधेरा
नीला गगन।
51. धुंध ने जब
आँचल को फैलाया
छाया अँधेरा।
52. घने कोहरे
वृक्ष पहाड़ जैसे
ओढ़े चादर।
53. पड़ी ओस
ठिठुर जाते पौधे
धरा भी कांपी।
54. उषा की बेला
नदी के तट पर
फैला उजाला।
55. आई है होली
घर और आंगन
सजा रंगोली।
56. वन में नाचे
मोर मोरनी झूमे
पंख पसार।
57. झींगुर गुंजा
मेंढ़क टर्र टर्र
वन में मोर।
58. फूली सरसों
आ री मद मस्त सी
राग रागिनी।
59. प्यासा जीवन
घनघोर घटा ने
बुझा दी प्यास।
60. बरसा मेघ
सुखी धरा पे जब
जीवन नया।
61. ताल तलैया
सब हो गया लुप्त
सुप्त हो मीन।
62. धानी चुनर
ओढ़ के धरा बनी
दुलहनिया ।
63. विदेशी बेटा
छोड़ा अपना देश
ममता दुःखी ।
64. भावनाओं का
सब करो सम्मान
जीवन छोटा ।
65. हे ! ऋतुराज
धरा पर बिखेर
बसंती छटा ।
66. असफलता
नई शुरुआत की
हिम्मत देती ।
67. नहीं बनाती
घोंसला ठूँठ वृक्ष
पर चिड़िया ।
68. बदला वक्त
बड़ा होकर उड़े
बच्चे परिंदे ।
69. भाई बहना
दुनिया है तमाशा
रब से नेहा ।
70. बाबुल मोरा
नैहर छुटा जाय
पिया से नेहा ।
71. फूल फूल पे
चम्पा जूही गुलाब
भौंरे गूँजते ।
72. बाबुल मोरा
देश हुआ पराया
अपने छूटे ।
73. सरस शब्द
मनोहर हो भाव
कोमल मन ।
74. बचपन की
छोटी छोटी याद में
कटते दिन ।
75. वीर जवान
मेरा देश महान
जय किसान ।
76. बसंत लाया
रंग बिरंगे फूल
प्यारा सौगात ।
77. टूटता मन
दुःख की पहर में
अकेलापन।
78. हम अकेले
साथ रहते दोनों
घर है खाली ।
79. बेचैन मन
उमर की थकान
है उलझन ।
80. हम अकेले
छुट गए हैं सब
अपने मेरे।
81. हमारी लाठी
छोड़ के चला गया
अपना देश ।
82. वेचैन मन
अपनों से मिलन
मन उदास ।
83. कथा वृद्ध की
सुने ना अब कोई
मन अशांत।
84. धन दौलत
जोड़े अपना नाता
वृद्ध पराया।
85. बड़ो से मिले
आशिर्वाद से रहे
जीवन खुश।
86. तारे निकले
चाँद की बारात में
हर्षित मन।
87. चिंतित मन
बुढ़ापे का सहारा
अपना कौन ?
88. चिंता में पड़
टूटे अब विश्वास
और आस भी।
89. उम्र भी गई
गई दांत पेट भी
और स्वाद भी।
90. भावनाओं से
होंगे आपसी रिश्ते
मजबूत ही ।
91. पावन गंगा
तन मन धोकर
करे निर्मल ।
92. वर्फ से ढंकी
ठिठुर रही धरा
ओढ़े चादर ।
93. धरती नम
ओस की बूंदों से
छुपा सूरज।
94. निखरा रूप
फूल और बगिया
माली मुस्काया।
95. सीखा सलीका
सागर से हमने
शान्त सहज ।
96. पुलकित हो
चाँद की बारात में
तारे निकले ।
97. काँटों के बीच
मुस्कुराता गुलाब
देता है सीख ।
98. रेल पटरी
चलती साथ साथ
कभी न मिले ।
99. उषा की बेला
खिल गई ज्योति
ऊँची तरंग ।
100. पीली सरसों
पीली चुनर ओढ़
बसंत संग।