यम को देख भू लोक में
माँ धरती घबड़ाई!
स्वर्ग लोक को छोड़ तुम,
आज यहाँ क्यों आए।
रोज तुम्हारे गण आते थे,
आज स्वयं तुम क्यों आए।
दुःख से बोला ‘यम’ ने,
मैं अटल को लेने आया हूँ।
बोली यम से, सहम माँ धरती,
भूल गए हो तुम शायद!
आज ही मैं आजाद हुई थी,
कैसे दे दूँ आज ‘अटल’?
होगा बड़ा अनर्थ।
गर ले गए तुम आज अटल
तिरंगा को लहराने दो,
स्वतंत्रता दिवस मानाने दो।
दे दूंगी मैं तम्हें ‘अटल’
आज नहीं तुम कल आना
फिर ले जाना मेरा ‘अटल’।