शब्द में बहुत बड़ी शक्ति होती है कबीर दास जी ने सच ही कहा है- “शब्द सम्भारे बोलिए, शब्द के हाथ न पाँव। एक शब्द औषधि करे, एक शब्द करे घाव”।। ‘शब्द’ स्वयं गूंगा है, स्वयं मौन रहता है शब्द स्वयं तो चुप रहता है, दूसरे के द्वारा बोला जाता है शब्द दुःख का… Continue reading ‘शब्दों’ का खेल निराला