रचना – ‘संस्कृति के चार अध्याय’ (1956 ई.)
रचनाकार – रामधारी सिंह ‘दिनकर’ (1908 – 1974 ई.)
* इस रचना में भारत वर्ष के संपूर्ण इतिहास को चार खंडों में बांटकर लिखने का अद्वितीय प्रयास है।
* इस पुस्तक की प्रस्तावना नेहरू द्वारा लिखा गया है।
* यह भारतीय संस्कृति का सर्वेक्षण है जिसके लिए ‘दिनकर’ जी को 1959 ई. में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
* पहली क्रांति तब हुई, जब आर्य भारतवर्ष में आए अथवा जब भारतवर्ष में उनका आर्येत्तर जातियों से संपर्क हुआ। आर्यों ने आर्येत्तर जातियों से मिलकर जिस समाज की रचना की, वही आर्यों अथवा हिन्दुओं का बुनियादी संस्कृति बनी।
* दूसरी क्रांति तब हुई जब महावीर और गौतम बुद्ध ने इस स्थापित धर्म या संस्कृति के विरुद्ध विद्रोह किया तथा उपनिषदों की चिंता धारा को खींचकर वे अपनी मनोवांछित दिशा की ओर ले गए।
* तीसरी क्रांति उस समय हुई जब इस्लाम, विजेताओं के धर्म के रूप में भारत पहुंचा और देश में हिंदुत्व के साथ उसका संपर्क हुआ।
* चौथी क्रांति हमारे अपने समय में हुई, जब भारत में यूरोप का आगमन हुआ। उनके संपर्क में आकर हिंदुत्व एवं इस्लाम दोनों ने नव-जीवन का शुरुआत किया।
इसमें चार प्रकरण है –
1. प्रथम अध्याय में 3 प्रकरण है।
2. द्वितीय अध्याय में 7 प्रकरण है।
3. तृतीय अध्याय में 12 प्रकरण है।
4. चतुर्थ अध्याय में 17 प्रकरण है (कुल मिलाकर 39 प्रकरण है)।
प्रथम अध्याय: भारतीय जनता की रचना और हिंदू-संस्कृति का वर्णन। इस अध्याय में 3 प्रकरण –
1. भारतीय जनता की रचना
2. आर्य-द्रविड़ समस्याएँ
3. आर्य और आर्येत्तर संस्कृति का मिलन
द्वितीय अध्याय: प्राचीन हिंदुत्व से विद्रोह। इस अध्याय में 7 प्रकरण है –
1. बुद्ध से पहले का हिंदुत्व
2. जैन धर्म
3. बौद्ध धर्म
4. वैदिक वनाम बौद्धमत
5. प्राचीन भारत और बाह्य विश्व
6. बौद्ध साधना का शाक्त प्रभाव
7. बौद्ध आन्दोलन के सामाजिक प्रसंग
तृतीय अध्याय: हिन्दू संस्कृति और इस्लाम। तृतीय अध्याय में कुल 12 प्रकरण हैं –
1. हिंदू-मुस्लिम प्रश्न की भूमिका
2. इस्लाम धर्म
3. मुस्लिम आक्रमण और हिंदू समाज
4. हिंदू मुस्लिम संबंध
5. इस्लाम का हिंदुत्व पर प्रभाव
6. भक्ति आदोलन और इस्लाम
7. अमृत और हलाहल का संघर्ष
8. सिक्ख धर्म
9. कला और शिल्प पर इस्लाम का प्रभाव
10. साहित्य और भाषा का प्रभाव
11. उर्दू का जन्म
12. सामाजिक संस्कृति के कुछ और रूप
चतुर्थ अध्याय: भारतीय संस्कृति और यूरोप। चतुर्थ अध्याय में कुल 17 प्रकरण है –
1. भारत में यूरोप का आगमन
2. शिक्षा में क्रांति
3. ईसाई धर्म और भारतीय जनता
4. हिन्दू- नवोत्थान
5. ब्रह्म समाज
6. महाराष्ट्र में नवोत्थान
7. आर्य समाज
8. थियोसोफिकल सोसायटी या ब्रह्म विद्दा समाज
9. धर्म के जीते-जागते स्वरुप परमहंस रामकृष्ण
10. कर्मठ वेदान्त: स्वामी विवेकानंद
11. प्रवृत्ति का उत्थान: लोकमान्य तिलक
12. स्वर्ग का भूमिकरण: महायोगी अरविंद
13. भूमि का स्वर्गीकरण: महात्मा गाँधी का प्रयोग
14. विश्व दर्शन के प्रवर्तक श्री सर्वपल्लीराधा कृष्णन
15. मुस्लिम-नवोत्सव
16. सर मुहम्मद इकबाल
17. भारतीय राष्ट्रीयता और मुसलमान