रचना के आधार पर वाक्य के भेद

वाक्य की परिभाषा- शब्दों के सार्थक समूह को वाक्य कहते हैं। सार्थक का मतलब होता है अर्थ रखने वाला शब्द अथार्त शब्दों का ऐसा समूह जिससे सार्थक अर्थ निकलता हो, उसे वाक्य कहते हैं। जैसे- तुम जाओ, सीता पढ़ रही है। वाक्य एक पद का भी हो सकता है और अनेक पद का भी हो सकता है जैसे- धन्यवाद और नहीं यह दोनों वाक्य एक पद का है तथा  ये दोनों अपने आप में पूर्ण वाक्य हैं। अतः वाक्य चाहे एक पद का हो या अनेक पदों का हो उनका सार्थक होना आवश्यक होता है।

वक्य के गुण- वाक्य के निम्न गुण हैं-

1. अर्थवान- वाक्य अर्थवान होना चाहिए। जिसके पढ़ने और सुनने से सही बात का पता चले, और उसका अर्थ समझ में आए।    

2. नियमानुसार- वाक्य व्याकरण के नियमों में बंधा होना चाहिए। जैसे- राम फल खाती है। इसमें ‘राम’ पुल्लिंग है और ‘खाती’ क्रिया के साथ स्त्रीलिंग रूप का प्रयोग कर रहे हैं। इसलिए यह गलत वाक्य है। यह आवश्यक है कि वाक्य व्याकरण के नियम से बंधा हुआ हो।

3. पूर्णता- वाक्य ऐसा होना चाहिए जो अपनी बात को कहने में पूर्ण हो।

4. भावाभियक्ति में सक्षम- वाक्य को अपनी भावों और विचारों को बताने में सक्षम होना चाहिए। जिससे सही अर्थ समझा जा सके।

वाक्य के दो अंग हैं- 1. उद्देश्य और 2. विधेय

1 उद्देश्य- जिसके विषय में कहा जाये उसे उधेश्य कहते हैं अथार्त उस वाक्य का कर्ता। कर्ता के लिए प्रयोग किया गया विशेषण भी उधेश्य के अंतर्गत आता है।

2. विधेय- उदेश्य या कर्ता के बारे जो कहा जाये उसे विधेय कहते है। उदहारण के लिए – कुछ बच्चे पार्क में खेल रहे हैं। यहाँ कुछ बच्चे- ‘उद्देश्य’ है और पार्क में खेल रहें है ‘विधेय’ है। उसीप्रकार- रात को आने वाली गाड़ी सुबह तक नहीं पहुंची। यहाँ ‘रात को आने वाली गाड़ी’ उद्देश्य है और ‘सुबह तक नहीं पहुंची’ विधेय है।

रचना के आधार पर वाक्य के भेद- रचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद होते हैं।

  1. सरल वाक्य,
  2. संयुक्त वाक्य और
  3. मिश्रित वाक्य

1. सरल वाक्य- (simple sentence) जिन वाक्यों में एक ही क्रिया होता है उसे सरल वाक्य कहते हैं। सरल वाक्य में एक उद्देश्य और एक विधेय होता है लेकिन कभी-कभी सरल वाक्य में कर्ता (उद्देश्य) एक से अधिक भी हो सकता है परन्तु विधेय और क्रिया एक ही होता है। उदहारण के लिए –

(क) बस रुकी। इस वाक्य में ‘बस’ एक उद्देश्य है तथा ‘रुकी’ एक विधेय है।

(ख) सीता को पुस्तकें दो इस वाक्य में ‘सीता को’ एक उधेश्य है और ‘पुस्तकें दो’ एक विधेय है।

(ग) मोहन और सुरेश ने चोर को पीटा। इस वाक्य में ‘मोहन’ और ‘सुरेश’ दो उद्देश्य हैं और ‘चोर को पीटा’ एक ही विधेय है क्योंकि दोनों मिलकर एक ही काम ‘पीटना’ कर रहे हैं।

सरल वाक्य में कर्ता और क्रिया के अलावा कर्म तथा उसके पूरक को भी सम्मिलित किया जा सकता है। क्रिया के साथ जब ‘क्या’ लगाकर प्रश्न करते हैं तो जो उत्तर प्राप्त होगा वही कर्म होगा। इसके कुछ उदहारण इस प्रकार हैं।

(क) सोहन पढ़ा। यहाँ ‘सोहन’ कर्ता तथा ‘पढ़ा’ क्रिया है।

(ख) सोहन पढ़ रहा है। यहाँ ‘सोहन’ कर्ता है तथा ‘पढ़ रहा है’ में क्रिया का विस्तार हुआ है।

(ग) पड़ोस में रहने वाला सोहन पढ़ रहा है। यहाँ पर कर्ता और कर्म दोनों का विस्तार हुआ है।

2. संयुक्त वाक्य– (compound sentence) जिन वाक्यों में दो या दो से अधिक सरल वाक्य योजक द्वारा अथार्त समुच्चयबोधक के (conjunction) द्वारा जुड़े हुए हों उन्हें संयुक्त वाक्य कहते हैं। योजक के द्वारा जुड़े होने पर भी प्रत्येक वाक्य का अपना स्वतंत्र अस्तित्व होता है तथा एक वाक्य दूसरे वाक्य पर आश्रित नहीं रहता है। मुख्य उपवाक्य अपने पूर्ण अर्थ कि अभिव्यक्ति के लिए किसी दूसरे वाक्य पर आश्रित नहीं रहता है। उपवाक्य होते हुए भी उसमे पूर्ण अर्थ का बोध होता है। संयुक्त वाक्य में उपवाक्य समानाधिकार समुच्चयबोधक अव्ययों से जुड़े होते हैं। जैसे- और, एवं, तथा, अथवा, या, किन्तु, परन्तु, अन्यथा, इसलिए आदि। ये सभी योजक शब्द हैं।

उपवाक्य– किसी बड़े वाक्य का अंश (जिसका अपना उद्देश्य और विधेय हो)। उदहारण-

(क) बादल घिर आए और वर्षा होने लगी। यहाँ दो उपवाक्य हैं जिसे और योजक लगाकर   जोड़ा गया है। इसमें दो स्वतंत्र वाक्यों को योजक से जोड़ा गया है।

(ख) रात बीत गई तथा सुबह हो गई।

(ग) राम पटना गया श्याम कलकता गया।

(घ) तुम नहीं जा सकते तो राम को भेज दो।

(ङ) उसने मेहनत नहीं की फलतः सफलता नहीं मिली।

(च) तुमने मना किया था इसलिए मैं नहीं आया।

3. मिश्रित वाक्य- (complex sentence): जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य के साथ एक या एक से अधिक उपवाक्य आते हों उसे मिश्र या मिश्रित वाक्य कहते हैं। इसमें स्वतंत्र वाक्य को प्रधान तथा शेष वाक्य या उपवाक्य को आश्रित वाक्य कहते हैं। इन्हें जोड़ने का व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय है जैसे- कि, जब, वहाँ, जिन, जो, जिसे आदि। उदहारण के लिए-

(क) मुझे मालूम है कि मोहन पाठशाला नहीं गया।

(ख) जो परिश्रम करता है उसे ही सफलता मिलती है।

(ग) जिसे आप ढूंढ रहे है वह मैं नहीं हूँ।

(घ) ज्यों ही पढ़ने बैठा बिजली चली गई।

(ङ) आप चाहते हैं कि देश तरक्की करे। यहाँ ‘आप चाहते हैं’ प्रधान उपवाक्य है ‘देश तरक्की करे’ यह आश्रित उपवाक्य है। इन दोनों वाक्यों को कि व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय लगाकर जोड़ा गया है अतः यह मिश्रित वाक्य है। इसमें आश्रित (गौण) उपवाक्य अपने अर्थ की अभिव्यक्ति के लिए मुख्य (प्रधान) उपवाक्य पर आश्रित रहता है।

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