अज्ञेय – यह दीप अकेला (कविता)

‘यह दीप अकेला’ कविवर अज्ञेय जी की प्रसिद्ध कविताओं में से एक है। अज्ञेय एक मनोविश्लेषणवादी और व्यक्तिवादी कवि हैं। इस कविता का प्रकाशन एवं संकलन नई दिल्ली ‘आल्पस कहवा घर’ में (18 ऑक्तुबर 1953) ‘बावरी अहेरी’ नामक कविता संग्रह में किया गया है।

इस कविता का संदेश है कि व्यक्ति और समाज दोनों एक दूसरे से अभिन्न रूप में  जुड़े हुए हैं। व्यक्ति के गुण, उसकी प्रतिभा, उसका कौशल और उसकी रचनात्मकता समाज के काम आनी चाहिए। जिस तरह एक अकेले दीपक के जलने से बेहतर है कि वह कतार में शामिल होकर जले। उसी तरह व्यक्ति को भी समाज से जुड़कर अपने जीवन को सार्थक बनाना चाहिए। अकेला कोई भी कितना भी पूर्ण और समृद्ध क्यों न हो वह सार्थक नहीं हो सकता है। इस कविता में दीपक प्रतिभाशाली व्यक्ति का प्रतीक है और दीपक की पंक्तियाँ समाज का प्रतीक है। इससे उसकी महत्ता और सार्थकता बढ़ जाती है।

यह दीप अकेला

यह दीप अकेला स्नेह भरा
है गर्व भरा मदमाता, पर इसको भी पंक्ति को दे दो।
यह जन है : गाता गीत जिन्हें फिर और कौन गाएगा?
पनडुब्बा : ये मोती सच्चे फिर कौन कृती लाएगा?
यह समिधा : ऐसी आग हठीला विरला सुलगाएगा।
यह अद्वितीय : यह मेरा : यह मैं स्वयं विसर्जित :
यह दीप अकेला, स्नेह भरा
है गर्व भरा मदमाता, पर इसको भी पंक्ति को दे दो।
यह मधु है : स्वयं काल की मौना का युग संचय
यह गोरस : जीवन कामधेनु का अमृत-पूत पय,
यह अंकुर : फोड़ धरा को रवि को तकना निर्भय,
यह प्रकृत, स्वयंभू, ब्रह्म, अयुत : इसको भी शक्ति को दे दो।
यह दीप अकेला, स्नेह भरा
है गर्व भरा मदमाता, पर इसको भी पंक्ति को दे दो।
यह वह विश्वास नहीं, जो अपनी लघुता में भी काँपा,
वह पीड़ा, जिसकी गहराई को स्वयं उसी ने नापा;
कुत्सा, अपमान, अवज्ञा के धुँधुआते कड़वे तम में
यह सदा द्रवित, चिर जागरूक, अनुरक्त नेत्र।
उल्लंब-बाहु, यह चिर अखंड अपनापा।
जिज्ञासु, प्रबुद्ध, सदा श्रद्धामय, इसको भी भक्ति को दे दो :
यह दीप अकेला, स्नेह भरा
है गर्व भरा मदमाता, पर इसको भी पंक्ति को दे दो

यह दीप अकेला स्नेह भरा है …………………इसको भी पंक्ति दे दो।

व्याख्या- कवि कहते हैं कि यह जो दीपक रूपी प्रतिभाशाली व्यक्ति है वह अकेला है। यह तेल अथवा ऊर्जा से भरा हुआ है। इस कारण इसे थोड़ा गर्व भी है और यह अपने मस्ती में चूर भी है। इसे भी समाज रूपी पंक्ति में शामिल कर देना चाहिए जिससे इसके गुण समाज के काम आ सके। जिससे इसका जीवन भी सार्थक हो सके।

यह जन है: गाता गीत जिन्हें ………………..यह मैं स्वयं विसर्जित

व्याख्या- यह ऐसा व्यक्ति है या ऐसा गायक है जो अनोखे गीत गाता है या रचता है। जिसे कोई और नहीं रच सकता है। यह उस गोतेखोर की तरह है जो अपने सच्चे विचारों के मोती चुन कर लाता है। जिसे और कोई भी कुशल व्यक्ति नहीं ला सकता है। अथार्त जिस तरह गोताखोर पानी में जाकर मोती चुनकर लाता है उसी तरह व्यक्ति भी इतना कुशल है कि वह अपना विचारों के मोती को चुनकर लाता है।

यह प्रतिभाशाली व्यक्ति उस यज्ञ की लकड़ी की तरह है जो खुद जलकर भी वातावरण में पवित्रता को फैलाता रहता है अथार्त विचारों से क्रांति की अनोखी आग लगा सकता है। लोगों को प्रभावित कर सकता है। इसके सामान कोई दूसरा नहीं है। यह दीपक रूपी प्रतिभाशाली व्यक्ति मुझसे भी जुड़ा हुआ है। यह मेरा अपना है क्योंकि यह मेरी ही तरह निरंतर सक्रिय रहता है और मैं भी इस दीपक के माध्यम से समाज के प्रति अपने आप को समर्पित करता हूँ। अपनी प्रतिभा समाज पर न्योछावर कर रहा हूँ।

यह दीप अकेला स्नेह भरा है ……………………..इसको भी पंक्ति दे दो।

व्याख्या- यह दीपक अकेला है और ऊर्जा से भरा हुआ है यह अभिमान से भरा है पर अपनी ही मस्ती में चूर है लेकिन इसे भी समाज रूपी पंक्ति को अर्पित कर देना चाहिए ताकि इसकी भी सार्थकता बढ़ जाए।

यह मधु है: स्वयं काल की मौन…………………इसको भी शक्ति दे दो  

व्याख्या- यह प्रतिभाशाली व्यक्ति मधु (शहद) के सामान है। जिसे स्वयं समय रूपी काल अथार्त मधुमक्खियों ने जमा किया है। जिस प्रकार शहद बनने में समय लगता है। उसी प्रकार रचनाओं को भी बनने में समय लगता है। ये दही और मक्खन के सामान है जो असाधारण है।

जीवन कामधेनु की तरह है जो हमारी सभी इच्छाओं को पूरा कर देता है अथार्त ये प्रतिभाशाली व्यक्ति दही या मक्खन की तरह है। ये जीवन रूपी कामधेनु के अमृत के समान पवित्र दूध के जमने से या मथने से बना है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है। जिस प्रकार दही और मक्खन बनने की प्रक्रिया लम्बी होती है उसी प्रकार सृजन शील व्यक्ति भी बहुत ही लम्बी प्रक्रिया से गुजरता है। उसके व्यक्तित्व के निर्माण में बहुत समय लगता है। यह प्रतिभाशाली व्यक्ति बीज से निकलने वाली अखुएँ के सामान है। यह धरती की कठोर परतों को चीरता है और सूरज की ओर बहुत ही निडर होकर देखता है।

भाव यह है कि यह सत्य से आँखें मिलाने का साहस करता है। यह प्रकृति से उत्पन्न है, सच्चा है और विकार रहित है। ये अपने आप उत्पन्न हुआ है। यह किसी से भी जुड़ा हुआ नहीं है। इस व्यक्ति को शक्ति को दे देना चाहिए। ताकि समाज के शक्तियों का विस्तार हो सके।

यह वह विश्वास……………..जिज्ञासा,प्रबुद्ध, सदा श्रद्धामय इसको भी शक्ति दे दो     

व्याख्या- कवि इन पंक्तियों में कहते हैं कि सृजन शील व्यक्ति हर परिस्थिति में अपना धीरज बनाए हुए रखते हैं। उसकी मौलिकता कभी भी ख़त्म नहीं होती है। वह किसी के सामने अपने घुटने नहीं टेकता है क्योंकि उसके भीतर की भावना अच्छी होती है उसके अन्दर का विश्वास शुद्ध होता है। वह छोटा होने पर भी नहीं घबराता और नहीं भागता है। उसका विश्वास इतना गहरा है कि कोई दूसरा व्यक्ति उसे नाप नहीं सकता है। कई बार व्यक्ति निंदा का शिकार हो जाता है। उसे समाज में कई बार अपमान जनक शब्द भी सुनने पड़ते हैं। मगर वह कभी भी हार नहीं मानता है। वह इस धुएँ में भी तरुता से भरा हुआ रहता है। हमेशा सतर्क और सावधान रहता है। उसकी आँखें हमेशा अनुराग से भरी हुई होती है। यह अपनी बाहें उठाकर लोगों को अपनाने के लिए तैयार रहता है। इसके भीतर जो अपनापन का भाव है। वह कभी भी ख़त्म नहीं होता है। उसमे हमेंशा कुछ जानने और पहचानने की जिज्ञासा बनी रहती है। जीवन के प्रति यह श्रद्धा से भरा हुआ रहता है। इस व्यक्ति को भी भक्ति दे दो अथार्त इसे भी समाज से जोड़ देना चाहिए। जिससे समाज आध्यात्मिक रूप से जुड़ा रहे और इसकी आस्था समाज के काम आ सके। अथार्त यह जो दीपक रूपी प्रतिभाशाली व्यक्ति है यह अकेला है। यह तेल अथवा ऊर्जा से भरा हुआ है। इस कारण इसे थोड़ा गर्व भी है और यह अपने मस्ती में चूर भी है। इसे भी समाज रूपी पंक्ति में शामिल कर देना चाहिए जिससे इसके गुण समाज के काम आ सके। जिससे इसका जीवन भी सार्थक हो सके। और समाज भी प्रगति कर सके।निष्कर्ष- कवि ने व्यक्ति के महत्व को समाज से जोड़कर देखा है। ‘दीप’ व्यक्ति का प्रतीक है और ‘पंक्ति’ समाज का प्रतीक है। कविता पर प्रयोगवादी शैली का प्रभाव है इसमें तत्सम शब्दावली का प्रयोग हुआ है। कवि इस कविता में स्वयं को इसी व्यक्तित्व रूप में अर्जित करते हुए, समाज में स्वयं को विसर्जित कर देना चाहता है।

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.