छायावाद के समानांतर चलने वाली काव्याधाराएँ हैं-
1. व्यक्ति चेतना प्रधान काव्यधारा/ हालावाद
2. राष्ट्रीय सांस्कृतिक काव्यधारा
3. समष्टि प्रधान/सामाजिक काव्यधारा
हालावाद काव्यधारा- (1933-1936 ई.)
परिभाषा- छायावाद के समानांतर जिन कवियों ने निजी अनिभूति के आधार पर प्रेम, मस्ती एवं अहं से संबंधित काव्य लिखा उनके द्वारा रचित काव्य व्यक्ति चेतना प्रधान या हालावाद के नाम से जाना जाता है।
‘हालावादी’ साहित्य काव्य की वह प्रवृति या धारा है, जिसमें ‘हाला’ या ‘मदिरा’ को वर्ण्य विषय मानकर काव्य रचना हुई है। साहित्य की इस धारा का आधार ‘खैयाम की रुबाइयाँ’ रही हैं। हालावादी काव्य का संबंध ‘ईरानी साहित्य’ से है। जिसका भारत में आगमन अनुदित साहित्य से हुआ है।
* हालावाद शब्द के प्रथम प्रयोक्ता नंददुलारे वाजपेयी माने जाते हैं।
* हालावाद के प्रवर्तक हरिवंशराय बच्चन हैं।
* हिंदी में हालावादी काव्यधारा का प्रवर्तन फ़ारसी साहिय के प्रभाव स्वरुप हुआ है।
* साहित्य की इस धारा का आधार उमर खैयाम की रुबाइयाँ रही है।
* हालावादी काव्य का संबंध इरानी साहित्य से है, जिसका भारत में आगमन अनुदित साहित्य के माध्यम से हुआ।
‘हाला’ का शाब्दिक अर्थ है- ‘मदिरा’, ‘सोम’, ‘शराब’ आदि। हरिवंशराय बच्चन ने अपनी हालावादी कविताओं में इसे गंगाजल, हिमजल, प्रियतम, सुख का अभिराम स्थल जीवन के कठोर सत्य, क्षणभंगुरता आदि अनेक प्रतीकों के रूप में प्रयोग किया है।
हालावाद को विभिन्न विद्वानों द्वारा दिए गए नाम-
* आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने ‘स्वच्छन्दतावादी’ काव्य कहा है।
* नंददुलारे वाजपेयी ने ‘हालावादी’ काव्य कहा है।
* डॉ. नगेंद्र ने ‘व्यतिवादी गीति’ कविता कहा है।
* गुलाबराय ने ‘रोमांसवाद’ कहा है।
* गणपतिचंद्र और हरिवंशराय बच्चन ने ‘व्यक्ति चेतस’ प्रधान काव्य कहा है।
* डॉ. नगेंद्र ने “वैयक्तिक कविता को छायावाद की ‘अनुजा’ और प्रगतिवाद की ‘अग्रजा’ कहा है।”
* हजारीप्रसाद द्विवेदी ने हालावादी काव्य को “मस्ती, उमंग और उल्लास की कविता कहा है?
हालावाद के प्रमुख रचनाकार-
भगवतीचरण वर्मा (1903-1981 ई.)
हरिवंशराय बच्चन (1907-2003 ई.)
हरिकृष्ण प्रेमी (1908-1974 ई.)
गोपाल सिंह नेपाली(1913-1963 ई.)
नरेंद्र शर्मा(1913-1991 ई.)
रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल'(1915-1996 ई.)
जानकीवल्लभ शास्त्री (1916-2011 ई.)
शम्भुनाथ सिंह(1917-1994 ई.)
हरिवंशराय बच्चन (1907- 2003 ई.)
जन्म- 7 नवंबर, 1907 ई. प्रयागराज, निधन- 2003 ई.
हरिवंशराय बच्चन के उपनाम-
> हालावाद का जनक
> हिंदी का बायरन
> प्रबंध शिरोमणि
> क्षयी रोमांस का कवि
> आत्मानुभूति का कवि
काव्य रचनाएँ:
तेराहार (1932 ई.), मधुशाला (1935 ई.), मधुबाला (1936 ई.), मधुकलश (1937 ई.), निशा निमंत्रण (1938 ई.), एकांत गीत (1939 ई.), आकुल अंतर (1943 ई.), सतरंगिनी (1945 ई.), हलाहल (1946 ई.), खादी के फूल (1948 ई.), सूत की माला (1948 ई.), मिलन यामिनी (1950 ई.), आरती और अंगारे (1954 ई.), धार के इधर-उधर (1957 ई.), प्रणय पत्रिका (1955 ई.), बुद्ध और नाचघर (1958 ई.), त्रिभंगिमा (1961 ई.), चार खेमे चौसठ खूँटे (1962 ई.), दो चट्टानें (1965 ई.), बहुत दिन बीतें (1967 ई.), कटती प्रतिमाओं की आवाज (1968 ई.), उभरते प्रतिमाओं के रूप (1969 ई.), जाल समेत (1973 ई.), सोऽह हंस- 1981 ई.
अनुदित रचनाएँ- खैयाम की मधुशाला (1935 ई.)
आत्मकथा-
क्या भूलूँ क्या याद करूँ- (1969 ई.),
नीद का निर्माण फिर फिर- (1970 ई.)
बसेरे से दूर- (1978 ई.)
दस द्वारा से सोपान तक (1985 ई.)