रचना –‘एक साहित्यिक की डायरी’ (प्रकाशन – 1964 ई.)
रचनाकार – गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’ (1917 – 1964 ई.)
(प्रथम संस्करण -1964 ई.), द्वितीय संस्करण 2000 ई.)
विधा – कथात्मक निबंध संग्रह, यह फैंटेसी, मनोविशलेषण, तर्क आदि विविध शैली में रचित है।
‘एक साहित्यिक की डायरी’ में संकलित कुल 13 निबंध है:
1. तीसरा क्षण नवंबर, 1958 ई. में वसुधा में प्रकाशित (पात्र: लेखक, केशव)
2. एक लंबी कविता का अंत सितंबर, 1957 ई. में नव लेखन पत्रिका में प्रकाशित (पात्र: लेखक, लेखक की पत्नी, शरद जोशी, अक्षय कुमार)
3. डबरे पर सूरज का बिंब – सितंबर, 1957 ई. में वसुधा पत्रिका में प्रकाशित (पात्र: लेखक वह)
4. हाशिये पर कुछ नोट्स – अगस्त 1957 ई. में वसुधा में प्रकाशित (पात्र: लेखक और लेखक का मित्र)
5. सड़क को लेकर एक बातचीत – अप्रैल, 1957 ई. वसुधा में प्रकाशित (पात्र: लेखक और लेखक का मित्र)
6. एक मित्र की पत्नी का प्रश्नचिह्न – जनवरी, 1958 ई. वसुधा में प्रकाशित (पात्र: लेखक, मित्र और मित्र की पत्नी)
7. नये की जन्म कुंडली-एक – जून, 1957 ई. वसुधा में प्रकाशित (पात्र: लेखक, एक बुद्धिमान व्यक्ति और लेखक का मित्र)
8. नये की जन्म कुंडली – दो – जून 1957 ई. वसुधा में प्रकाशित (पात्र: लेखक और लेखक का मित्र)
9. वीरकर – नवंबर, 1957 ई. में वसुधा में प्रकाशित (पात्र: वीरकर और लेखक)
10. विशिष्ट और अद्वितीय – ऑक्टूबर, 1958 ई. वसुधा में प्रकाशित (पात्र: मुक्तिबोध, डिप्टी डायरेक्टर, लड़का, मुक्तिबोध की पत्नी)
11. कुटुयान और काव्य सत्य – ऑक्टूबर, 1957 ई. वसुधा में प्रकाशित (पात्र: मुक्तिबोध, मुक्तिबोध का मित्र इंदिरा, कृष्णमुरारि शुक्ल, डॉ पटवर्धन)
12. कलाकार की व्यक्तिगत इमानदारी-एक – ऑक्टूबर, 1957 ई. वसुधा में प्रकाशित (पात्र: मुक्तिबोध, यशराज)
13. कलाकार की व्यक्तिगत इमानदारी-दो – ऑक्टूबर, 1960 ई. वसुधा में प्रकाशित (पात्र: मुक्तिबोध, यशराज)
कलाकार की व्यक्तिगत इमानदारी को स्पष्ट करते हुए कहते हैं – “व्यक्तिगत ईमानदारी का अर्थ है -जिस अनुपात जिस मात्रा जो भावनाया विचार उठा है, उसको उसी मात्र में प्रस्तुत करना। जो भावना विचार जिस स्वरुप को लेकर प्रस्तुत हुआ है उसको उसी स्वरुप में प्रस्तुत करना लेखक का धर्म है।”
एक साहित्यिक की डायरी’ के महत्वपूर्ण कथन:
* “मनुष्य का व्यक्तित्व एक गहरा रहस्य है” – मुक्तिबोध
* “मन एक रहस्यमय लोक है” – मुक्तिबोध
* “सौन्दर्य प्रतीति का संबंध सृजन प्रक्रिया से है” – केशव
* “अनास्था आस्था की पुत्री है” एक लंबी कविता का अंत” – मुक्तिबोध
* “आलोचक साहित्य का दारोगा है” डबरे पर सूरज का बिंब – – मुक्तिबोध * “कुंठा शब्द फ्रायडवाद व मार्क्सवाद की संकर संतान है” – मुक्तिबोध