मिथक का अर्थ – मिथक शब्द अंग्रेजी भाषा के ‘मिथ’ (myth) शब्द का हिंदी रूपांतरण या पर्यायवाची शब्द है। मूलतः इस शब्द की उत्पत्ति यूनानी भाषा के ‘माइथॉस’, लैटिन के भाषा के ‘मिथस’ और जर्मन भाषा के ‘मिथोस’ से हुई है, जिसका अर्थ होता है मौखिक या काल्पनिक कथा।
मिथक की परिभाषाएँ- (पाश्चात्य विद्वानों के अनुसार)
अरस्तू के शब्दों में – “मिथक मनगढ़ंत या काल्पनिक कथा है।”
लेंगर के शब्दों में – “प्राचीन वास्तु या पौराणिक पात्रों की युग सापेक्ष पुनः रचना मिथक है।”
हडसन के शब्दों में – “प्राचीन का नवीन अर्थ सनकेट मिथक है।”
मैक्समूलर के शब्दों – “मिथक की उत्पत्ति भाषा से हुई है ये भाषा के रोग के सामान है।”
विको के शब्दों में – “मिथक की उत्पत्ति सांकेतिक अभिव्यक्ति से हुई है। अतः मिथक भाषा के विकास की मंजिल है।”
फ्रांसीसी समाजशास्त्री दुर्खीम के शब्दों में – “मिथक का संबंध प्रकृति से नहीं सामाज से है।”
रिचर्ड चेज ने – “काव्य को मिथक और मिथक को काव्य माना है।”
हिंदी विद्वानों के अनुसार मिथक की परिभाषा:
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के शब्दों में – “मिथक तत्व वस्तुतः (वास्तव) में भाषा का पूरक है सभी भाषा इसके ही बल पर खड़ी ई साहित्य में मिथक अनंत अनुभवों का विश्लेषण है।”
डॉ नागेन्द्र के शब्दों में – “साहित्य के अनंत विस्तार को देखते हुए मिथक की दुनिया छोटी है नये कवि वर्तमान के अतित्त्व अतीत की वर्तमानता में विश्वास करते है इसके लिए मिथकों का प्रयोग किया जाता है।”
डॉ रमेश कुंतल ‘मेघ’ के शब्दों में – “मिथक मानव जाति का सामूहिक स्वप्न एवं सामूहिक अनुभव है।”
गंपतिचंद्र गुप्त के शब्दों में – “अतीत का पुनरुत्थान मिथक है।”
डॉ. भगीरथ मिश्र के शब्दों में – “पौराणिक पात्रों या घटनाओं को नवीन युग के अनुसार बनाकर प्रस्तुत करना मिथक है।”
मिथक की विशेषताएँ –
> इसमें मनगढ़ंत कहानियाँ या पौराणिक कथा होती है।
> मिथक लोक प्रसिद्ध और लोक विश्वास पर आधारित होता है
> मिथक में अतिमानवीय प्राणी या घटना का उल्लेख होता है।
> मिथक को बिना किसी तर्क के ही स्वीकार कर लिया जाता है।
> मिथक सामूहिक और विस्मयपूर्ण होता है।
> मिथक का क्रिया कलाप मानवेत्तर विशेषतः देवताओं से संबंधित होता है।
(जैसे- कामायनी का मनु वेद कालीन न होकर प्रसाद कालीन प्रतीत होता है)
> मिथक बुद्धिमूलक न होकर अचेतन मन से संबंधित होता है।
> मिथक युग के आधार पर निर्मित होता है।
> मिथक अनेक आद्द बिंब का समूह होता है।
हिंदी साहित्य की प्रमुख मिथकीय रचनाएँ: कामायनी (जयशंकर प्रसाद),अँधायुग, कनुप्रिया (धर्मवीर भारती), संशय की एक रात (नरेश मेहता), भष्मासुर (नागार्जुन), एक कंठ विषपायी (दुष्यंत कुमार)