नागरी प्रचारिणी सभा काशी की स्थापना- 16 जुलाई 1893 ई. को हुई थी।
> इसकी स्थापना वाराणसी ‘क्वींस कॉलेज’ के, कक्षा 9वीं के तीन विद्यार्थियों-
> रामनारायण मिश्र, श्यामसुंदर दास, शिवकुमार सिंह के द्वारा किया गया।
> इसके प्रथम अध्यक्ष राधाकृष्ण दास थे।
> काशी के सप्तसागर मोहल्ले के घुड़साल में इसकी बैठक होती थी। बाद में इस संस्था का स्वतंत्र भवन बना।
इसके प्रथम वर्ष बनने वाले सदस्य – महामहोपाध्याय पंडित सुधाकर द्विवेदी, इब्राहिम जार्ज ग्रियर्सन, अंबिकादत्त व्यास, चौधरी प्रेमघन ये सभी ख्याति के विद्वान थे।
मुख्य उद्देश्य-
> इसका मुख्य उद्देश्य था, हिंदी की हस्तलिखित ग्रंथों की खोज और उसका प्रकाशन करवाना।
> नागरीलिपि का प्रचार-प्रसार करवाना
> शब्दकोशों का निर्माण करना
> पारिभाषिक शब्दावली का निर्माण एवं प्रकाशन करवाना
> हिंदी का प्रचार-प्रसार करवाना
नागरी प्रचारिणी काशी द्वारा किया गया प्रमुख कार्य:
1896 ई. में नागरी प्रचारिणी पत्रिका का प्रकाशन (यह त्रैमासिक पत्रिका थी)
1896 ई. में आर्य भाषा पुस्तकालय की स्थापना
1898 ई. में पारिभाषिक शब्दावली का प्रकाशन
1899 ई. में विश्वहिंदी कोश का प्रकाशन
1900 ई. से 1912 ई. तक हस्तलिखित ग्रंथों की खोज करवाना
1910 ई. में हिंदी साहित्य सम्मलेन प्रयाग की स्थापना