1. भरतमुनि – (3वीं शदी ) नाट्यशास्त्र
2. मेधाविरुद्ध – अलकार ग्रंथ
3. भामह – (7वीं शदी.) काव्यालंकार
4. दंडी – (7वीं शदी.) काव्यादर्श
5. उद्भट भट्ट (8वीं शदी) – कव्यालाकार सार-संग्रह (भामह की रचना का सार) भामह विवरण – (भामह के काव्यालंकार की टीका)
6. वामन – (9वीं शदी) काव्यालंकार सूत्र
7. रुद्रट – (9वीं शदी) काव्यालंकार
8. रूद्रभट्ट – श्रृंगार तिलक
9. आनंदवर्द्धन – (9वीं शदी उत्तरार्द्ध) ध्वन्यालोक
10. अभिनवगुप्त (980 – 1020 ई.) अभिनवभारती, ध्वन्यालोक लोचन, काव्य कौतुक विवरण
11. राजशेखर – (880 – 920 ई.) काव्यमीमांसा (अलंकार ग्रंथ, 18 भागों अथवा अधिकरणों में)
12. धनञ्जय – दशरूपक (भरतमुनि के नाट्यशास्त्र का सबसे प्राचीन तथा उपादेश सार ग्रंथ)
13. भट्टनायक – (935 – 85 ई.) अभिनव भारती, हृदय दर्पण
14. कुंतक – (11वीं शदी का पूर्वार्द्ध ) वक्रोक्ति जीवित
15. महिमभट्ट – (11वीं शदी ) व्यक्ति विवेक
16. क्षेमेन्द्र – (11वीं शदी ) औचित्य विचार-चर्चा
17. भोजराज – (11वीं शदी ) सरस्वती कंठाभरण, श्रृंगार प्रकाश (श्रृंगार प्रकाश को अलंकार-शास्त्र का विश्वकोश कहा जाता है। भोजराज ने श्रृंगार को रसराज और मूल रस कहा है।)
18. मम्मट – (1100 ई०) काव्यानुशासन (संग्रह-ग्रंथ, मौलिकता नहीं है)
19. रुय्यक – (12वीं शदी के मध्य भाग में) अलंकार सर्वस्व (2 भागों में विभक्त- सूत्र और वृति)
20. हेमचन्द्र – (1088 -1172 ई.) काव्यानुशासन (संग्रह-ग्रंथ मौलिकता नहीं है।)
21. वाग्भट्ट – (12 वीं शदी का पूर्वार्द्ध) वाग्भट्टालंकार
22. जयदेव – (1250 ई. 13वीं शदी) चंद्रलोक
23. कविराज विश्वनाथ – (14 वीं शदी) साहित्यदर्पण
24. शारदा तनय – भावप्रकाश (नाट्यशास्त्र विषयक महत्वपूर्ण ग्रंथ)
25. रुप गोस्वामी – (15-16 शदी) – हरि भक्तिरसामृत सिंधु, उज्जवल नीलमणि, नाटक चन्द्रिका
26. पं. जगन्नाथ – (1590 – 1665 ई.) रस गंगाधर
27. वेदव्यास – अग्निपुराण
28. महर्षि यास्क – निरुक्त
अन्य काव्यशास्त्रीय ग्रंथ:
रचनाकार- रचना (ग्रंथ)
कुंतक – वकोक्ति जीवितम्
धनिक – दशरूपक अवलोक
रामचंद्र गुणचंद्र – नाट्य दर्पण
भट्तौत – कव्यकौतुक
राजशेखर – काव्यमीमांसा
कल्हण – राजतरंगिनी
शिंग भूपाल – रसार्णवसुधाकर
प्रभाकर – रस प्रदीपकार
भानुदत्त – रसमंजरी, रसतरंगिणी
विद्दाधर – एकावली
केशव मिश्र – अलंकार शेखर, कुवलयानंद, वृतिवार्तिक
अप्पय दीक्षित – चित्रमीमांसा