1.भीष्म साहनी ‘तमस’
भीष्म साहनी का जन्म: 8 अगस्त 1915 ई० रावलपिंडी (पाकिस्तान) में हुआ था।
निधन: 11 जुलाई 2003 ई० दिल्ली
उपन्यासकार: भीष्म साहनी
उपन्यास: ‘तमस”
प्रकाशन वर्ष: (1973 ई०)
- ‘तमस’ भीष्म साहनी का सबसे प्रसिद्ध उपन्यास है।
- तमस को 1975 ई० में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- इसकी कथा 1947 ई० के पंजाब परिवेश और विभाजन पर आधारित कहानी है।
तमस की विशेषताएँ:
- इसमें कूल पाँच दिनों की कहानी का वर्णन है।
- कथावस्तु दो खण्डों में विभाजित है।
- पहले खण्ड में कूल 13 प्रकरण है। दूसरा खण्ड गाँव पर केन्द्रित है।
- इसका प्रधान पात्र ‘आतंक’ है, जिसे उपन्यास का ‘नायक’ कह सकते है।
अन्य पात्र: नथू, बक्शी जी, अजीज, मेहता, रामदास, हरनाम सिंह, कश्मीरी लाल, हकीम जी’ सरदार जी, देवदत्त, लीजा, रिचर्ड, हयात बक्त, लक्ष्मी नारायण, मौला, राजो शहनाज आदि।
डॉ गोपाल राय के शब्दों में- “तमस उस अंधकार का द्योतक (प्रतीक) है जो आदमी की इंसानियत और संवेदना को ढक लेटा है और उसे हैवान बना देता है।”
2. यशपाल: ‘झूठा सच’
जन्म: 3 दिसंबर 1903 ई० फ़िरोजपुर छावनी, पंजाब में हुआ था। ये साम्यवादी उपन्यासकार हैं।
निधन: 26 दिसंबर 1976 ई०
उपन्यास: ‘झूठा सच’
प्रकाशन वर्ष: 1960 ई० इस उपन्यास के दो भाग है।
प्रथम भाग: ‘वतन और देश’ (1958 ई०)
दूसरा भाग: ‘देश का भविष्य’ (1960 ई०)
प्रथम भाग:
- ‘वतन और देश’ इसका प्रकाशन विप्लव कार्यालय, लखनऊ से 1958 ई० में हुआ था।
- इसमें लाहौर के ‘भोला पांधे’ की गली के परिवारों के बहाने जन-सामान्य के जीवन का चित्रण करते हुए देश के विभाजन एवं उससे उत्पन्न भीषण सांप्रदायिक उन्माद का चित्रण हुआ है।
- शरणार्थियों के समस्याओं का भी चित्रण है।
दूसरा भाग:
- ‘देश का भविष्य’ इसका प्रकाशन 1960 ई० में हुआ था।
- इसका कथा केन्द्र जालंधर और दिल्ली है।
- देश के निर्माण में होने वाली चूक और नेताओं की भ्रष्टता, स्वार्थ और माध्यम वर्ग के पीड़ा का चित्रण है।
यशपाल के शब्दों में-“ देश का भविष्य मुट्ठी भर नेताओं के हाथ में नहीं है। वास्तविक रूप से वह जनता के हाथ में है।”
मुख्य पात्र: दोनों के पात्र लगभग एक ही है।
भाग एक- जयदेव पूरी की पत्नी- कनक, जयदेव पूरी की बहन- तारा (स्त्री पात्र), उर्मिला,
भाग दो– जयदेव पूरी, सूदजी, गिल, असद, सोमराज, डॉ प्राणनाथ (पुरुष पात्र)
3. कमलेश्वर ‘लौटे हुए मुसाफिर’
जन्म: 6 जनवरी 1932 ई० मैनपुरी उत्तर प्रदेश। कमलेश्वर समानांतर कहानी के प्रवर्तक माने जाते है।
निधन: 27 जनवरी 2007 ई० फरीदाबाद
उपन्यास: ‘लौटे हुए मुसाफिर’
प्रकाशन वर्ष: 1961 ई०
इस उपन्यास में विभाजन और विभाजन के पश्चात हुए कुछ परिवर्तन का चित्रण है।
मुख्य पात्र: नसीबन, सत्तार, सलमा, यासीन, मकसूद, साईं आदि।
कमलेश्वर ‘कितने पाकिस्तान’
जन्म: 6 जनवरी 1932 ई० मैनपुरी उत्तर प्रदेश। कमलेश्वर समानांतर कहानी के प्रवर्तक माने जाते है।
निधन: 27 जनवरी 2007 ई० फरीदाबाद
उपन्यास: कितने पाकिस्तान
प्रकाशन वर्ष: ‘कितने पाकिस्तान’ 2000 ई० में हुआ। इसके लिए 2003 ई० में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
कथानक: यह उपन्यास भारत पाकिस्तान के बँटवारे और हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर आधारित है। यह उनके मन के भीतर चलने वाले अंतर्द्वंदों का परिणाम माना जाता है। यह विभाजन पर आधारित प्रयोगवादी उपन्यास है।
मुख्य पात्र: मुख्य पात्र ‘समय’, है। नायक ‘अदीब’, है। नायिका ‘सलमा’ है। अरदली भी एक पात्र है। इन सभी लोगों के दोगलेपन को अजागर करने वाला पात्र है।
मोहन राकेश के शब्दों में- “इस उपन्यास में वामपंथी विचारधारा को रेखांकित किया गया है।”
विभाजन पर आधारित कमलेश्वर के कुछ अन्य उपन्यास:
एक सड़क संतावन गालियाँ (1957 ई०)
डाकबंगाल (1959 ई०)
समुंद्र में खोया आदमी (1967 ई०)
काली आँधी (1974 ई०)
तीसरा आदमी (1976 ई०)
आगामी अतीत (1976 ई०)
सुबह दोपहर शाम (1982 ई०)
रेगिस्थान (1988 ई०)
4. फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ ‘जुलूस’, रेणु हिन्दी के पहले आंचलिक उपन्यासकार है।
जन्म: 4 मार्च 1921 ई० आगरा में हुआ था।
निधन: 11 अप्रैल 1977 ई०
विभाजन पर आधारित इनके दो उपन्यास हैं: ‘जुलुस’ और ‘कितने चौराहे’
उपन्यास: ‘जुलूस’
प्रकाशन: 1965 ई० में
‘जुलूस’ उपन्यास ‘भारतीय ज्ञानपीठ’ द्वारा प्रकाशित हुआ था। इसकी कहानी पूर्वी पाकिस्तान अथार्त बंगलादेश पर आधारित है। इसमें बिहार के पूर्णिया जिले के गोडियर नामक स्थान पर आये हुए बंगलादशी शरणार्थियों की समस्या का चित्रण है।
प्रमुख पात्र: नायिका ‘पवित्रा’ है। (पूर्वी पाकिस्थान से विस्थापित युवती)
अन्यपात्र: हरलाल साहा, हरिधन, छिदाम दास, गोपाल पाइन, नवी साहब।
फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ ‘कितने चौराहे’, रेणु हिन्दी के पहले आंचलिक उपन्यासकार।
जन्म: 4 मार्च 1921 ई० आगरा में हुआ था।
निधन: 11 अप्रैल 1977 ई०
उपन्यास: ‘कितने चौराहे’
प्रकाशन वर्ष: 1966 ई०
इस उपन्यास में आजादी के तुरंत बाद के ग्रामीण भारत में हो रही गतिविधियों को चित्रित किया गया है। इसके क्षेत्र उत्तरी बिहार का कोशी क्षेत्र है।
‘रेणु’ इस उपन्यास को एक युवा बलिदानी ‘किशोर शहीद ध्रुव कुण्डु’ को समर्पित करते हुए लिखते है-
“उन्होंने कहा- आगे मत बढ़ो, लौट आओ। तुमने कहा- झंडा फहराकर ही लौटूँगा। उन्होंने कहा- गोली मार दूँगा। तुमने छाती तान ली। झंडा तूमने फहराया, उन्होंने गोली दाग दी, गोली दाग दी!”…
मुख्य पात्र: सूरज नारायण एवं हफीज इसके मुख्य पात्र है। (ये पात्र दोनों दोस्त थे)
5. राही मासूम राजा
जन्म: 1 सितंबर 1927 ई० गाजीपुर
निधन: 15 मार्च 1992 ई० मुंबई में
इनके विभाजन पर आधारित तीन उपन्यास है:
आधा गाँव (1966 ई०)
टोपी शुक्ला (1969 ई०)
ओस की बूँद (1970 ई०)
आधा गाँव: (1966 ई०)
‘आधा गाँव’ राही मासूम रजा की बहुचर्चित उपन्यास है। यह उपन्यास उत्तर प्रदेश के जनपद गाजीपुर से लगभग ग्यारह किलोमीटर दूर बसे गाँव गंगोली के शिया मुसलमानों की कहानी का चित्रण है।
पात्र: फुन्नन मिया, हम्माद, पृथ्वीपाल सिंह आदि।
टोपी शुक्ला: (1969 ई०)
इस उपन्यास में हिन्दु-मुस्लिम भेद-भाव एवं अलीगढ़ विश्वविद्यालय की संकीर्ण राजनीति का चित्रण है। भारत पाकिस्तान के विभाजन का ऐसा कुप्रभाव पड़ा कि अब हिन्दुओं और मुसलमानों का मिलकर रहना कठिन हो गया है। उपन्यासकार ने स्वयं इस उपन्यास को वर्तमान समाज को एक गन्दी गाली कहा है।
पात्र: बलभद्र नारायण शुक्ला (इसी को टोपी शुक्ला कहा गया है), सैयद ज़रगाम मुर्तजा या इफ्फ्न- इनकी कहानी का चित्रण है
ओस की बूँदे (1970 ई०)
कथा का केन्द्र गाजीपुर का एक छोटा सा क़स्बा है। मुस्लिम लीग के द्वारा अलग देश की माँग करने पर मुसलमानों के मनःस्थिति का चित्रण है।
6. मनमथनाथ गुप्त (शैलेन्द्र चौहान क्रन्तिकारी) के उपन्यास:
जय यात्रा, रैन अँधेरी, प्रतिक्रिया, अछूत समस्या, सागर संगम, गृहयुद्ध, आदि है।
विभाजन पर आधारित अन्य उपन्यास और उपन्यासकार:
क्रम सं० | उपन्यासकार | उपन्यास |
1. | गुरुदत्त | पथिक, स्वराज्य दान, देश की हत्या, दीन दुनिया |
2. | बलवंत सिंह | काले कोस |
3. | जगदीश चंद्र | मुठ्ठीभर कांकर |
4. | बदीउज्जमाँ | छको की वापसी |
5. | रामानंद सागर | और इंसान मर गया |
6. | रघुवीर शरण | बलिदान |
7. | यज्ञदत्त शर्मा | इंसान |
8. | आचार्य चतुरसेन शास्त्री | ढहती हुई दीवार, धर्मपुत्र |
9. | उषा बाला | कुंती के बेटे |
10. | प्रमोद बंसल | अंधे युग के बुत |
11. | करतार सिंह दुग्गल | मन परदेशी |
12. | प्रताप नारायण श्रीवास्तव | बयालीस |
13. | भगवती चरण वर्मा | भूले बिसरे, चित्र सीधी सच्ची बातें, प्रश्न और मरीचिका, वह फिर नहीं आई |
14. | शुकदेव बिहारी मिश्र | स्वतंत्र भारत |
15. | रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल’ | नई इमारत (ये मंसलवाद के प्रवर्तक माने जाते है) |
16. | विष्णु प्रभाकर | निशि कांत, तट के बंधन |
17. | देवेन्द्र सत्यार्थी | कठपुतली |
18. | बलबीर त्यागी | तूफान के उसपार |
19. | ख्वाजा अहमद अब्बास | काँच की दिवार |
20. | ओकर राही | शवयात्रा |
21. | उषादेवी मित्रा | नष्ट नीड़ |