हँसकर आँसू छुपा लेती हूँ
मुस्कुराकर दर्द सह लेती हूँ
रात गम में गुजार लेती हूँ
दिल को कैसे समझाऊं?
सुनते तो सब हैं मुझे
अपनी बात को कैसे बताऊँ?
कोशिश तो की थी सुनाने की
लेकिन किसी को कैसे सुनाऊं?
मेरी रचनाएँ
हँसकर आँसू छुपा लेती हूँ
मुस्कुराकर दर्द सह लेती हूँ
रात गम में गुजार लेती हूँ
दिल को कैसे समझाऊं?
सुनते तो सब हैं मुझे
अपनी बात को कैसे बताऊँ?
कोशिश तो की थी सुनाने की
लेकिन किसी को कैसे सुनाऊं?