बिहार की राजधानी पटना एक खुबसूरत ऐतिहासिक शहर है। पहले इसे पाटलिपुत्र के नाम से जाना जाता था। पटना दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है। एक समय ऐसा भी था जब पटना की गिनती सबसे बड़े शहरों में होती थी। मौर्यकाल में पटना पाटलिपुत्र के नाम से जाना जाता था। इसी शहर की ख्याति भारत से लेकर ग्रीक साम्राज्य तक थी मेगस्थनीज चन्द्रगुप्त मौर्य के समय में भारत आया था। उसने अपनी किताब ‘इंडिका’ में भारत के विविधता के साथ-साथ तत्कालीन पटना का सुंदर वर्णन किया है। चीनी यात्री फाह्यान भारत का भ्रमण करते हुए पटना भी गया था। पटना शहर गंगा नदी के दक्षिण किनारे पर स्थित है। यहाँ अनेक दर्शनीय स्थान है। गांधी मैदान, गोलघर, बिस्कोमान भवन, महावीर मंदिर, पटन देवी मंदिर, पटना साहिब, गुरु द्वारा, पादरी की हवेली आदि। पटना को नदियों का शहर भी कहा जाता है। पटना के कई ऐतिहासिक जगहों में अगम कुआँ का भी नाम आता है। यह कुआँ पटना के सबसे पुरानी जगहों में से एक है। इस रहस्यमय कुएँ की खोज अलेक्जेंडर कनिंघम ने 19 वीं शताब्दी में की थी। इसका निर्माण मौर्य सम्राट अशोक के शासनकाल 304-232 ईस्वी से पहले हुआ था। इस कुआँ की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इतना पुराना होने के बावजूद भी इसका पानी कभी सूखता नहीं है। यह माना जाता है कि यह अगम कुआँ गंगा के अंतिम छोर गंगासागर से जुड़ा हुआ है। इसके पीछे तर्क यह दिया जाता है कि एक बार किसी अंग्रेज का छड़ी बंगाल के गंगासागर में बह (गिर) गया था, जो बाद में इसी कुएँ से निकाली गई थी। कहते हैं कि आज भी वह छड़ी कोलकाता के म्यूजियम में रखी हुई है। दूसरी खासियत यह है कि इसके पानी का रंग हमेशा बदलता रहता है। इसके गहराई के संबंध में पुरातत्व विभाग का कहना है कि इसकी गहराई लगभग 105 फीट है। यह कुआँ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा चिन्हित पुरातात्विक स्थल है। इसके गहराई के कारण इसका नाम ‘अगम कुआँ’ रखा गया। अगम का शाब्दिक अर्थ होता है ‘पाताल’ अथार्त पाताल से जुड़ा हुआ। आखिर इतने गहरे कुएँ की खुदाई के पीछे क्या कारण रहा होगा? इस कुएँ से कई अनोखी बातें जुड़ी हुई है, जो इसे रहस्यमयी बनाती है। कहा जाता है कि सम्राट अशोक सत्ता हासिल करने के लिए अपने 99 भाइयों को मारवाकर इसी कुएँ में फेंकवा दिया था। पुरानी कहानियों के अनुसार इस अगम कुआँ को अशोक का ‘यातना गृह’ भी कहा जाता था। अगम कुएँ का जिक्र अशोक के समय में आए एक चीनी यात्री ने अपने पुस्तक में किया है, जिसमे कहा गया है कि सम्राट अशोक अपने दुश्मनों की हत्या कर इसी कुएँ में फेंकवा दिया करता था। इसका कोई सटीक प्रमाण नहीं है। कुछ लोगों का मानना है कि यह गुप्त खजाने को रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। एक अन्य मान्यता है कि चाँद नाम के एक राजा ने सुदर्शन नाम के एक जैन ‘मॉन्क’ को इस कुएँ में फेकवा दिया था। बाद में वे कमल पर बैठे हुए तैरते मिले। इस कुएँ को शादी-व्याह या कई धार्मिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है। हिंदू लोग इसमें चमत्कारिक शक्तियाँ मानते हैं।
इस कुएँ के पास माता शीतला का मंदिर है। धार्मिक मान्यता के अनुसार पहले कुएँ की पूजा की जाती है। बाद में माता शीतला की पूजा की जाती है। शीतला माता के पूजा के लिए इसी कुएँ के जल का प्रयोग किया जाता है। कुएँ के रहस्य को जानने के लिए तीन बार कोशिश किया जा चुका है। पहली बार 1932 में, दूसरी बार 1962 में और तीसरी बार 1995 में। मगर इस रहस्यमयी कुआँ का रहस्य आज भी रहस्य ही है। कहा जाता है कि कई बार भयंकर सुखा पड़ने के बावजूद भी इसका पानी कभी नहीं सूखता है और ना ही बाढ़ आने के बाद भी इसके पानी में कोई बढ़ोत्तरी होती है।
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