हमारे जीवन में रामरस का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। जिस प्रकार राम के बिना जीवन अधूरा है। उसी प्रकार रामरस के बिना भोजन अधूरा है। हम चाहे जितना भी जायकेदार भोजन बना ले और उसमे नमक नहीं डाले तो भोजन का जायका ही बिगड़ जाता है। नमक रसोईघर की सबसे महत्वपूर्ण वस्तु है। यह कड़वाहट को कम करने और मीठे एवं खट्टे व्यंजनों को अलग स्वाद देने का काम करता है। साथ ही साथ नमक स्वस्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है। वैसे नमक के कई प्रकार है किन्तु यहाँ मुख्य पाँच नमक का वर्णन हैं-
1. सामान्य नमक (Table Salt): यह नमक सभी घरों के रसोईघर में अवश्य पाई जाती है। इसमें सोडियम कि मात्रा अधिक होती है। सादा नमक में आयोडीन कि मात्रा भी पर्याप्त होती है जो हमारे शरीर के रोग प्रतोरोधक क्षमता को बढ़ाता है और थायराइड जैसी शारीरिक समस्या से रक्षा करता है। नमक का सेवन सीमित मात्रा में किया जाए तो इससे कई फायदे हैं किन्तु अधिक मात्रा के सेवन से यह हड्डियों को प्रभावित करता है, जिससे हड्डियाँ कमजोर होने लगती है।
2. काला नमक (Black Salt): कालानमक का सेवन सभी व्यक्तियों के किये लाभदायक और फायदेमंद है। आम बोली में इसे हिमालयन नमक या काला नमक कहते हैं। इसके सेवन से कब्ज, बदहजमी, पेटदर्द, उल्टी आदि समस्याओं से छुटकारा मिलता है। गर्मियों के दिनों में इसे नींबू पानी या छाछ में डालकर सेवन करना लाभप्रद है। काला नमक में फ्लोराइड होता है। इसलिए इसका अधिक सेवन नहीं करना चाहिए।
3. सेंधा नमक (Himaalyan pink Salt): सेंधा नमक को शुद्ध नमक माना जाता है। हमारे देश में इस नमक का प्रयोग उपवास के समय किया जाता है। इसे कई नामों से जाना जाता है। जैसे रॉक साल्ट, व्रत का नमक, लाहोरी नमक आदि। इस नमक को रिफाइन नहीं किया जाता है। इसमें 84 प्राकृतिक खनिज और पोषण तत्व पाए जाते हैं। हालांकि इसमें कैल्सियम, पोटाशियम और मैग्नीशियम की मात्रा सादा नमक से अधिक होती है। साथ ही यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। यह नमक ब्लड शुगर नियंत्रित रखने, रक्त कोशिकाओं के PH में सुधार करने और मांसपेशियों कि ऐंठन को मदद करने में सहायक होता है। जिन लोगों को हार्ट और किड़नी से संबंधित परेशानियाँ होती है। उनके लिए भी सेंधा नमक का सेवन लाभदायक होता है।
4. समुंद्री नमक (Sea Salt): यह नमक समुंद्री जल के वाष्पीकरण के द्वारा बनाया जाता है। यह सामान्य नमक का ही एक रूप है। इस नमक को बिना मिलावट और संसोधित करके बनाया जाता है। यह दानेदार होता है। पहले हमारे देश में इसी नमक को अधिक उपयोग में लाया जाता था। समुंद्री नमक से भोजन स्वादिष्ट और पौष्टिक बनता है।
5. धुएं वाला नमक (Smoked Salt): इस नमक को लकड़ी के आग पर हल्का धुआं लगाकर बनाया जाता है। इसके लिए पाइन, हिकोरी, सेब या एल्डर कि लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है। इस नमक का इस्तेमाल करने से खाने में धुएं का स्वाद और रंग आ जाता है। आज के समय में ऐसे स्वाद के कुछ लोग दीवाने हो गए है। इस नमक का प्रयोग मांसाहारी भोजन के लिए किया जाता है। पसंद के अनुसार हम किसी भी व्यंजन में इस नमक का प्रयोग कर सकते हैं। हमारे समय में तो किसी भोज्य पदार्थ में धूआं लग जाता था तो लोग पसंद नहीं करते थे। खाने वाले लोग बोलने लगते थे अरे खाना धुआइन लग रहा है। किन्तु आज तो कुछ लोग शौक से धुआं वाला भोजन खाना खाते हैं।
रहिमन कवि ने ठीक ही कहा है कि नमक कडवाहट को दूर कर देता है-
“खीरा सिर से काटिये, मलियत नमक लागाय।
रहिमन करुये मुखन को, चहियत इहै सजाय।।”
Good piece of knowledge ☺️
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