नया वर्ष आएगा नई रोशनी लेकर
सभी प्राणियों के लिए कई खुशियाँ लेकर ।
अपने विश्वास की लौ हमेशा जलाये रखना
वही रौशनी देगा अंधेरे में दीया बनकर ।।
नया वर्ष आजकल राष्ट्रीय पर्व की तरह पूरे विश्व में मनाया जाता है। भारत एक विशाल देश है। हमारे देश में विभिन्न संस्कृतियों, समप्रदायों तथा विभिन्न भाषाओं के लोग रहते हैं। सभी के अपने अलग-अलग कैलेंडर हैं और अपने नए वर्ष मनाने के अलग-अलग तरीके हैं। ‘हिब्रु’ मान्यताओं के अनुसार भगवान द्वारा विश्व को बनाने में सात दिन लगे थे। इस कारण इन सात दिनों के बाद ही नया साल मनाया जाता है। यह ‘ग्रेगरी’ कैलेंडर के अनुसार 5 सितंबर से 5 नवंबर के बीच आता है।
पश्चिमी नये वर्ष का उत्सव 4000 वर्ष पहले बेबिलोन में मनाया गया था लेकिन उस समय नये वर्ष का त्यौहार 21 मार्च को मनाया जाता था जो बसंत के आगमन का समय होता है। प्राचीन रोम में भी नया वर्ष तभी मनाया जाता था। रोम के बादशाह जूलियस सीजर ने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जब जूलियन कैलेंडर की स्थापना की उस समय विश्व में पहली बार 1 जनवरी को नया वर्ष का उत्सव मनाया गया था। ऐसा करने के लिए जूलियस सीजर को पिछला वर्ष यानि ईसा पूर्व 46 ई० को 445 दिन कम करना पड़ा था।
भारतीय नववर्ष
भारत में नव वर्ष का महोत्सव चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन से शुरू होता है। इसे नव संवत् के नाम से जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन से सृष्टि की रचना शुरू की थी। विक्रम संवत् के अनुसार भी नये साल की शुरुआत इसी दिन से होती है। नया वर्ष आने की खुशी में होली मनाया जाता हैं और यह बसंत का महीना भी होता है।
इस्लामी नववर्ष
इस्लामी कैलेंडर का नया वर्ष मुहर्रम होता है। यह चंद्र वर्ष पर आधारित होता है।
सिक्खों का नया वर्ष: सिक्ख नानकशाही कैलेंडर के अनुसार 14 मार्च को होला मोहल्ला नया वर्ष होता है। पंजाब का नया वर्ष बैशाखी के नाम से 13 अप्रैल को मनाया जाता है।
मलयाली नववर्ष
मलयाली नव वर्ष ओंणम है जो सितंबर माह में मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन राजा महाबली पाताल लोक से धरती पर आकर अपनी प्रजा के मंगल की कामना करते हैं।
तमिल नववर्ष
तमिल का नया वर्ष पोंगल है जो प्रतिवर्ष 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है।
जैन धर्म का नववर्ष
जैनियों का नया वर्ष दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाता है। यह भगवान महावीर के मोक्ष प्राप्ति के अगले दिन से शुरू होता है। इसे वीर निर्वाण संवत् कहा जाता है।
सिंधियो का नववर्ष
इनका नया वर्ष चेटीचंद उत्सव से शुरू होता है। यह चैत्र शुक्ल पक्ष के द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। सिंधि समाज के मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान झूलेलाल का जन्म हुआ था। जो वरूण देवता के अवतार माने जाते हैं।
पारसी अपना नव वर्ष 22 अप्रैल को मनाते हैं।
बौद्ध धर्म के कुछ अनुयायी बुद्ध पूर्णिमा के दिन 17 अप्रैल को नया वर्ष मनाते हैं।
कश्मीरी कैलेंडर नवरेह 19 मार्च को नव वर्ष मनाते हैं।
मारवाड़ी का नया वर्ष दीपावली के दिन होता है।
गुजराती का नया वर्ष दीपावली के दूसरे दिन होता है।
असम का नया वर्ष ‘भोगाली बिहू’ या ‘माघ बिहू’ को मनाया जाता है।
हम सब प्रत्येक वर्ष नया साल बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं और जाने वाले साल को अलविदा कहते हैं तथा कुछ नयी और पुरानी यादों को जोड़ने की कोशिश करते हैं। हर वर्ष हम कुछ नया करने के लिए सोचते हैं लेकिन सोचते सोचते पूरा वर्ष निकल जाता है और हमारे सामने बस कुछ प्रश्न रह जाते हैं। आप सभी को नव वर्ष की ढेर सारी शुभकामनाएँ। परमेश्वर आपकी जिन्दगी को खुशियों से भर दे यही हमारी प्रार्थना है। नया साल आप सबको मुबारक हो।